एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है? समझें और स्वस्थ रहें
जब आप बाहर निकलते हैं तो अक्सर सुनते हैं ‘AQI हाई है’, लेकिन इसका असली मतलब आपको पता है? एयर क्वालिटी इंडेक्स, यानी AQI, वायुमंडल में मौजूद हानिकारक कणों की मात्रा को एक नंबर में दिखाता है। यह नंबर जितना बड़ा होगा, हवा उतनी ही ज़्यादा गंदगी वाली मानी जाएगी और आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
AQI कैसे पढ़ते हैं?
सामान्य तौर पर AQI 0‑50 को ‘स्वच्छ’ माना जाता है। इस रेंज में सांस लेना बिल्कुल ठीक रहता है। 51‑100 ‘मध्यम’ कहलाता है, जहाँ संवेदनशील लोगों (बच्चे, बुजुर्ग, अस्थमा वाले) थोड़ा सावधान रह सकते हैं। 101‑200 ‘असुरक्षित’ है – यहाँ बाहर की गतिविधियों को सीमित करना बेहतर रहता है। 201‑300 ‘बहुत खतरनाक’, और 301 से ऊपर ‘हैज़र्डस’ माना जाता है; ऐसे स्तर पर घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जाती है।
ये वर्गीकरण सरकारी एजेंसियां, जैसे भारत सरकार का सेंसर नेटवर्क या विश्व स्वास्थ्य संगठन, एक साथ तय करते हैं। हर घंटे अपडेट होते डेटा से आपको रियल‑टाइम जानकारी मिलती रहती है। इसलिए मोबाइल ऐप या स्थानीय समाचार साइट पर AQI देखना अब रोज़ की आदत बन गई है।
आपके शहर में AQI जांचने के आसान उपाय
1. सरकारी पोर्टल और ऐप: भारत सरकार का ‘Air Quality Live’ या राज्य‑स्तरीय पर्यावरण विभागों की वेबसाइटें मुफ्त में डेटा देती हैं। आप बस अपने शहर का नाम डालिए, तुरंत रैंक मिल जाएगी।
2. गूगल सर्च: गूगल बार में ‘[शहर] AQI’ लिखिए, पहले परिणाम में ही वर्तमान स्तर दिखेगा। यह तरीका सबसे तेज़ है जब आपके पास इंटरनेट हो।
3. वॉच या फिटनेस बैंड: कई स्मार्ट वॉच अब बिल्ट‑इन एयर क्वालिटी सेंसर के साथ आती हैं, जो आपके आसपास की हवा को सीधे मापती हैं और अलर्ट देती हैं जब स्तर खतरनाक हो जाता है।
4. स्थानीय समाचार चैनल: टीवी या रेडियो पर अक्सर सुबह‑शाम AQI अपडेट होते रहते हैं, खासकर बड़े शहरों में। अगर आप डिजिटल नहीं रहना पसंद करते तो यह मददगार रहेगा।
5. स्मार्ट होम डिवाइस: कुछ एयर प्यूरीफायर और स्मार्ट स्पीकर अब हवा की गुणवत्ता को मॉनिटर करने वाले सेंसर के साथ आते हैं। वे न केवल स्तर दिखाते हैं, बल्कि आवश्यक होने पर फिल्टर चलाने का सुझाव भी देते हैं।
इन साधनों से आप जल्दी जान पाएंगे कि बाहर जाना सुरक्षित है या नहीं। अगर AQI हाई हो तो घर में रहकर पंखे या एसी के बजाय एयर कंडिशनर को ‘क्लीन मोड’ पर रखें, खिड़कियाँ बंद करें और यदि संभव हो तो पौधों की मदद से कुछ शुद्धिकरण भी कर सकते हैं।
अंत में एक बात याद रखें – AQI सिर्फ आंकड़ा है, लेकिन इसका असर वास्तविक स्वास्थ्य पर पड़ता है। अगर आपको लगातार सांस लेने में तकलीफ़ या आँखों में जलन महसूस हो रही है, तो डॉक्टर से मिलें और साथ ही हवा की स्थिति को भी देखें। इस तरह आप अपने शरीर को बचाते हुए पर्यावरण के बारे में जागरूक रह सकते हैं।