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फसल उत्पादन के बारे में क्या नया है?

हर दिन किसान नई चुनौतियों का सामना करते हैं—मौसम बदलना, बीज की क्वालिटी या बाजार की दाम‑दर. इस टैग पेज पर हम फसल उत्पादन से जुड़ी ताज़ा ख़बरें और काम के टिप्स लाते हैं ताकि आप जल्दी निर्णय ले सकें.

सरकार की नई पहल

पिछले साल केंद्र सरकार ने "कृषि बीमा 2024" को व्यापक बनाया। अब छोटे किसान भी कम प्रीमियम में फसल नुकसान का कवरेज पा सकते हैं. साथ ही, सिंगल‑स्टेज राइज़र‑ड्रिप इरीगेशन स्कीम से पानी की बचत 30 % तक बढ़ी है. इन योजनाओं को सीधे अपने नजदीकी कृषि कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल पर देख सकते हैं.

कई राज्यों ने "फसल सिंगन्योर" योजना शुरू कर दी। इसका उद्देश्य हाई‑यील्ड वैरायटी के बीज किसान तक पहुँचाना है. अगर आप धान, गेहूँ या ज्वार की फसल बो रहे हैं तो इस योजना से बेहतर बीज मिल सकते हैं और फ़सल उत्पादन में 15 % तक वृद्धि हो सकती है.

किसानों के लिए आसान टिप्स

1. **बीज का चयन** – हमेशा प्रमाणित लेबल वाले बीज चुनें। नकली या पुरानी बॅच से फसल कमजोर पड़ती है. 2. **मिट्टी की जाँच** – हर दो साल में एक बार pH और पोषक तत्व जांच कराएँ. सही उर्वरक मिलाने से पौधे स्वस्थ रहते हैं.

3. **सिंचाई समय** – सुबह के शुरुआती घंटे या शाम को पानी दें। इससे जलवाष्पीकरण कम होता है और जड़ें गहरी पहुँचती हैं. 4. **कीट‑नियंत्रण** – रासायनिक कीटनाशक का हल्का प्रयोग करें और जैविक विकल्प जैसे नीम तेल, लहसुन अर्क को प्राथमिकता दें.

5. **फसल चक्र** – हर साल वही फसल नहीं लगाएँ। घुमावदार खेती से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती और रोग‑पैथोजन का दबाव घटता है.

इन छोटे‑छोटे बदलावों को अपनाने से आप बिना बड़े खर्चे के उत्पादन बढ़ा सकते हैं. याद रखें, सही जानकारी और समय पर कार्रवाई ही सफलता की चाबी है.

अगर आप इस टैग में मौजूद लेख पढ़ते रहेंगे तो आपको नई तकनीक, बाजार मूल्य और सरकारी सब्सिडी का पूरा ज्ञान मिल जाएगा. हमारी कोशिश रहती है कि हर किसान को आसान भाषा में वही जानकारी मिले जो उसकी फसल उत्पादन को बेहतर बनाये.

ग्लोबल खाद्य उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण

ग्लोबल खाद्य उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा पैटर्न वैश्विक फसल उत्पादन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। इसके चलते अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

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