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प्लास्टिक प्रदूषण क्या है और इसे कैसे रोकें

हम सब ने देखा होगा कि सड़कों पर, नदियों में या समुद्र तटों पर प्लास्टिक का कचरा बिखरा हुआ रहता है। यही प्लास्टिक प्रदूषण है, जो हमारे पर्यावरण को धीरे‑धीरे नुकसान पहुँचा रहा है। जब प्लास्टिक टूटता नहीं, तो वह सालों‑साल तक प्राकृतिक रूप से नहीं घुलता और जीव-जंतु इसे खा लेते हैं या गलती से निगलते हैं। इससे जल जीवन में बाधा आती है और इंसानों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।

प्लास्टिक के नुक्सान

सबसे बड़ा खतरा पानी में प्लास्टिक कणों का जमा होना है। मछलियां, कछुए और पक्षी इन छोटे‑छोटे टुकड़ों को खाना समझ लेते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है या वे बीमार पड़ते हैं। जमीन पर जमी हुई प्लास्टिक मिट्टी की बनावट बिगाड़ती है, जिससे फसलों की पैदावार घटती है। शहरों में कूड़े के ढेर से निकला प्लास्टिक हवा में उड़कर लोगों की सांस तक पहुंचता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।

प्लास्टिक उत्पादन में तेल और गैस का बहुत इस्तेमाल होता है, इसलिए यह कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ाता है। जब हम एक बार उपयोग करने वाले बैग या बोतल को फेंक देते हैं, तो वह सैकड़ों साल तक पर्यावरण में बना रहता है। इस तरह से हमारे जलवायु परिवर्तन की गति तेज होती है।

प्लास्टिक कम करने के आसान उपाय

हर दिन छोटे‑छोटे बदलाव बड़े असर डाल सकते हैं। सबसे पहले, प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े या जूट के थैले इस्तेमाल करें। पानी की बोतलें खरीदने की बजाय घर में स्टेनलेस बॉतल रखें और जब भी संभव हो रिफिल कराएँ। खाने का पैकिंग करते समय कागज या बायोडिग्रेडेबल विकल्प चुनें, प्लास्टिक नहीं।

घर में उपयोग होने वाले प्लास्‍टिक उत्पादों को दोबारा इस्तेमाल करें—जैसे कि पुराने जार से सीरियल रखें या फर्नीचर बनाएं। जहाँ भी रीसायक्लिंग बिन हो, सही ढंग से कचरा अलग‑अलग डालें; यह प्रक्रिया शहर के कचरे प्रबंधन को आसान बनाती है। स्थानीय स्वच्छता अभियानों में भाग लें और अपने आस‑पड़ोस में प्लास्टिक सफाई ड्राइव आयोजित करें।

सरकार द्वारा चलाए जा रहे नियमों का समर्थन करें, जैसे कि प्लास्टिक बैग पर टैक्स या सिंगल‑युज़ प्लास्टिक की बैन। जब हम इन नीतियों को अपनाते हैं तो उद्योग भी अधिक पर्यावरण‑मित्र सामग्री बनाते हैं। साथ ही, स्कूल और कॉलेज में बच्चों को प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में जागरूक करना भविष्य में एक स्वच्छ भारत बनाने में मदद करेगा।

सही जानकारी और ठोस कदमों से हम सभी मिलकर प्लास्‍टिक प्रदूषण को कम कर सकते हैं। याद रखें, हर बोतल की वापसी, हर थैले का दोबारा उपयोग हमारे ग्रह के लिए बड़ा योगदान है। चलिए आज ही छोटे‑छोटे बदलाव शुरू करें और साफ़-सुथरा भारत बनाएं।

कुछ शहरों में प्लास्‍टिक कचरे को ऊर्जा में बदलने की तकनीक अपनाई जा रही है, जिससे बायो‑गैस या इंधन बनता है। अगर आप ऐसे प्रोजेक्ट्स के बारे में जानकारी चाहते हैं तो स्थानीय नगर निगम की वेबसाइट देख सकते हैं। इन नई तकनीकों से प्लास्‍टिक का दायरा घटेगा और साथ ही रोजगार भी पैदा होगा।

यदि आपके पास कोई आसान रेसिपी या DIY आइडिया है जैसे कि पुरानी बोतल से गार्डन पॉट बनाना, तो उसे सोशल मीडिया पर शेयर करें। इस तरह के छोटे‑छोटे कदम दूसरों को प्रेरित करेंगे और प्लास्‍टिक बचाने की लहर तेज़ होगी।

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World Earth Day 2024 'Planet vs Plastics' थीम के साथ दुनियाभर में प्लास्टिक प्रदूषण पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है। इसमें 2040 तक 60% प्लास्टिक उत्पादन कम करने, सिंगल यूज प्लास्टिक की रोकथाम और सतत तकनीकों में निवेश पर फोकस है। बच्चों में माइक्रोप्लास्टिक के खतरे और साफ-सफाई के लिए सामूहिक प्रयास पर जोर दिया गया है।

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