THAAD क्या है? समझिए इस एंटी‑बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस को
THAAD (Terminal High Altitude Area Defense) एक अमेरिकी विकसित एंटी‑बैलिस्टिक प्रणाली है जो उच्च ऊँचाई पर आने वाले शत्रु क्षेपण रॉकेटों को रोकती है। यह सैटेलाइट‑स्तर तक पहुँचकर लक्ष्य को नष्ट करती है, जिससे जमीन पर नुकसान कम हो जाता है। भारत में इस सिस्टम के बारे में चर्चा अक्सर चीन‑भारत तनाव और सुरक्षा रणनीति से जुड़ी रहती है।
THAAD का काम कैसे करता है?
सिस्टम तीन मुख्य भागों से बना होता है: रडार, कमांड‑कंट्रोल सेंटर और इंटरसेप्टर मिसाइल। रडार पहले लक्ष्य को पहचानता है, फिर कमांड‑कंट्रोल उसे ट्रैक करके सही दिशा में इंटरसेप्टर लॉन्च करता है। इस प्रक्रिया में सेकंड के अंश ही लगते हैं, इसलिए तेज़ प्रतिक्रिया बहुत जरूरी होती है। भारत ने अभी तक THAAD नहीं खरीदा, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी तकनीक सीमा सुरक्षा को मजबूत कर सकती है।
भारत‑चीन तनाव में THAAD की भूमिका
पिछले साल चीन ने अपनी नई एंटी‑सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया, जिससे पड़ोसी देशों को डर महसूस हुआ। भारत के कई शहरी क्षेत्रों में अब THAAD जैसी डिफेंस प्रणाली की मांग बढ़ रही है। कुछ राजनयिक स्रोतों का कहना है कि यदि भारत THAAD अपनाता है तो वह चीन को एक मजबूत संदेश देगा – ‘हम भी उन्नत रक्षा रख सकते हैं’। दूसरी ओर, खर्च‑सम्बंधी सवाल और तकनीकी साझेदारी के मुद्दे अभी पूरी तरह सुलझ नहीं पाए हैं।
साथ ही, अमेरिका का THAAD प्रोजेक्ट कई देशों में चल रहा है, जैसे दक्षिण कोरिया और जापान। इन देशों ने इसे सफल माना है, जबकि कुछ ने पर्यावरणीय प्रभाव और स्थानीय जनसंख्या के स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं उठाई हैं। भारत में भी समान आवाज़ें सुनने को मिल रही हैं – क्या THAAD का उच्च-ऊँचाई रडार ग्रामीण इलाकों में हस्तक्षेप कर सकता है? इस सवाल पर अभी तक स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।
अगर आप सुरक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं या सिर्फ नई तकनीक की जानकारी रखना चाहते हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि THAAD जैसी प्रणालियां किस तरह से अंतरराष्ट्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करती हैं। भारत‑चीन सीमा पर संभावित खतरों को देखते हुए, सरकार इस पर विचार कर रही है लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
आगे आने वाले महीनों में हम THAAD के बारे में सरकारी बयानों, विशेषज्ञ राय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को कवर करेंगे। अपडेटेड जानकारी पाने के लिए इस टैग पेज को फॉलो करें – यहाँ आपको सबसे ताज़ा खबरें मिलेंगी, चाहे वह भारत में संभावित डिप्लॉयमेंट हो या वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव।