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Reliance Consumer Products ने 40,000 करोड़ के फूड मैन्युफैक्चरिंग सौदे पर सरकारी समझौता किया

Reliance Consumer Products ने 40,000 करोड़ के फूड मैन्युफैक्चरिंग सौदे पर सरकारी समझौता किया

क्या आपको पता है कि भारत के सबसे बड़े निजी समूहों में से एक अब खाने‑पीने की दुनिया में कदम रख रहा है? Reliance Consumer Products ने World Food India Summit के उद्घाटन दिन सरकार के साथ 40,000 करोड़ रुपये का समझौता किया, जिससे पूरे देश में एकीकृत फूड मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएँ स्थापित होंगी। यह खबर सिर्फ एक बड़े निवेश की बात नहीं, बल्कि भारत की खाद्य प्रोसेसिंग क्षमता को अगले स्तर पर ले जाने का इशारा है।

समझौते की मुख्य बातें

समझौते के अनुसार कंपनी दो तयशुदा जगहों पर लगभग 1,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी:

  • महाराष्ट्र के नागपुर जिल्हे में स्थित कातोल – यहाँ टेक्स्टाइल‑संबंधित बुनियादी ढाँचा पहले से मौजूद है, जो नई फूड पार्क के लिये किफायती बनाता है।
  • आंध्र प्रदेश के कर्नूल – यह जगह तेल‑बीज और मसालों की खेती के लिये प्रसिद्ध है, जिससे सप्लाई‑चेन आसान होगी।

इन दो प्लांट्स को AI‑ड्रिवेन ऑटोमेशन, रोबोटिक प्रोसेसिंग और सस्टेनेबल तकनीक से लैस किया जाएगा। सरकार ने कहा कि इस तरह के प्रोजेक्ट्स से न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि ऊर्जा खपत और कचरे में भी कमी आएगी।

विश्व खाद्य भारत शिखर सभा में इस समझौते के साथ ही अन्य दिग्गज कंपनियों ने भी बड़े निवेश की घोषणा की। तीन कोका‑कोला बॉटलर ने मिलकर 25,760 करोड़ रुपये का खर्चा करके अपने ग्रिनफ़ील्ड और ब्राउनफ़ील्ड प्रोजेक्ट्स को बढ़ाने का वादा किया। इन सभी योजनाओं से पहले दिन ही निवेश कुल 65,000 करोड़ रुपये से ऊपर पहुँच गया।

देशीय अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव

देशीय अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव

ऐसे बड़े पैमाने पर निवेश का असर सिर्फ कंपनी की बैंलेंस शीट तक ही सीमित नहीं रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना सीधे‑सीधे लाखों नौकरियों का सृजन कर सकती है—फार्म‑टू‑टेबल तक की पूरी वैल्यू चेन में कामगारों की आवश्यकता होगी।

स्थानीय किसानों को अपने उत्पादों को सीधा फूड पार्क तक पहुँचाने का नया मंच मिलेगा, जिससे बीच के मध्यस्थों की भूमिका कम होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। साथ ही, सस्टेनेबल प्रोडक्शन तकनीक अपनाने से जल, ऊर्जा और कच्चे माल की बचत होगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक लाभ लेकर आएगी।

FMCG बाजार में Reliance की तेज़ी से बढ़ती उपस्थिति पहले ही दिखी है—पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ और स्नैक्स में कंपनी के ब्रांड धीरे‑धीरे पहचान बना रहे हैं। इस बड़े निवेश से कंपनी न केवल अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को विस्तारित करेगी, बल्कि प्रतिस्पर्धियों के लिये एक नई बेंचमार्क भी सेट करेगी।

सरकार भी इस कदम को अपने "आत्मनिर्भर भारत" मिशन के साथ जोड़ रही है। आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के बड़े‑पैमाने के प्रोजेक्ट्स को उत्साह के साथ स्वागत किया जा रहा है। World Food India Summit इस संदर्भ में एक मंच बन चुका है, जहाँ निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े‑बड़े नाम मिलकर भारत के खाद्य उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये रणनीति बनाते हैं।

आगे देखते हुए, यदि Reliance के AI‑ड्रिवेन फूड पार्क सफल होते हैं, तो अन्य उद्योगों—जैसे दवाइयाँ, रसायन और वस्त्र—भी इसी तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म को अपनाने की सम्भावना बढ़ेगी। इस तरह का इको‑सिस्टम न सिर्फ निवेशक भरोसा बढ़ाता है, बल्कि भारतीय उद्योग को भी नई ऊँचाईयों पर ले जाता है।

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World Food India Summit के पहले दिन Reliance Consumer Products ने सरकार के साथ 40,000 करोड़ रुपये का फूड मैन्युफैक्चरिंग समझौता किया। महाराष्ट्र के कातोल और आंध्र प्रदेश के कर्नूल में 1,500 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिससे एशिया के सबसे बड़े फूड पार्क बनाने का लक्ष्य है। इस कदम से FMCG में कंपनी की स्थिति मजबूत होगी, साथ ही भारतीय खाद्य प्रॉसेसिंग को नई ऊर्जा मिलेगी।

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