जून बरिष रिकॉर्ड – इस साल की भारी बारिश का सच
अगर आप सोच रहे हैं कि इस जून में कितनी बारिश हुई, तो बात बड़ी दिलचस्प है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, कई जगहों पर अब तक का सबसे बड़ा रेनफॉल दर्ज हुआ है। इसका असर रोज‑मर्रा की जिंदगी से लेकर खेती‑बाड़ी तक हर चीज़ पे पड़ रहा है। इस लेख में हम बताते हैं कि कहाँ‑कहाँ रिकॉर्ड बना और आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।
कहाँ और कितना बरस रहा?
मुख्य तौर पर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार और पश्चिमी मध्य प्रदेश में बारिश ने रेकॉर्ड तोड़ दिया। शिमला में 24 घंटे में 250 mm से ज्यादा पानी गिरा, जबकि बरेली (उ.प्र.) ने 300 mm से अधिक रिकॉर्ड किया। इस मात्रा से नदियों का जलस्तर अचानक तेज़ी से बढ़ गया और कई जगहें बाढ़ की स्थिति में आ गईं।
फसल‑कृषि पर भी असर साफ दिख रहा है। धान के खेतों में पानी भरने के कारण बीज अंकुरण में देरी हुई, जबकि रबी फसलों को जड़ रोग का खतरा बढ़ गया। अगर आप किसान हैं तो सिचाई की योजना बदलनी पड़ेगी और जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करना होगा।
बारिश से बचाव के आसान उपाय
पहला कदम है स्थानीय मौसम अपडेट पर नज़र रखना। सरकारी ऐप या रेडियो पर अलर्ट सुनते रहें, ताकि अचानक बाढ़ की स्थिति में तुरंत तैयार हो सकें। दूसरा, घर के आसपास पानी जमा होने वाले स्थानों को साफ़ रखें और ड्रेनेज पाइप को जाम नहीं होने दें।
अगर आप यात्रा करने वाले हैं तो सड़कों की स्थितियों की जाँच पहले कर लें। कई हाईवे पर जलभारी हिस्से बंद रहे हैं, इसलिए वैकल्पिक मार्ग चुनें या देरी के लिए तैयार रहें। सार्वजनिक परिवहन में भी बारिश से लोटपोट हो सकता है, इसलिए समय बचाने के लिये निजी वाहन या राइड‑शेयरिंग का उपयोग बेहतर रहेगा।
भोजन और पानी की आपूर्ति पर भी ध्यान दें। बाजार में कुछ सामान जल्दी खत्म हो सकते हैं, तो ज़रूरत की वस्तुएँ पहले खरीद लें। घर में साफ़ पेयजल रखने के लिए टैंकर या बोतल वाले पानी को सुरक्षित रखें।
सरकार ने कई जगहों पर अस्थायी रिफ्यूज सेंटर लगाए हैं और आपदा राहत टीमें सक्रिय हैं। यदि आपके इलाके में जल स्तर बढ़ रहा है, तो निकटतम रिफ्यूज सेंटर का पता रखिए और अपने परिवार के साथ सुरक्षित स्थान तय कर लीजिए।
अंत में, यह याद रखें कि बारिश खुद में प्रकृति की एक आवश्यक प्रक्रिया है, पर जब रिकॉर्ड टूटे तो सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है। सही जानकारी और तैयारियों से आप इस जून की भारी बारिश को आसानी से पार कर सकते हैं। भविष्य में मौसम विभाग के अनुमान देखते रहें – इससे अगले बार भी आप तैयार रह पाएंगे।