फूड प्रोसेसिंग – क्या है, क्यों ज़रूरी और क्या देखना चाहिए
जब हम फूड प्रोसेसिंग, कच्चे खाद्य पदार्थों को सफ़ाई, कटिंग, पेस्ट्री, फ्रीज़िंग, पैकेजिंग आदि के माध्यम से उपभोग योग्य रूप में बदलने की पूरी श्रृंखला. इसे अक्सर खाद्य प्रसंस्करण भी कहा जाता है, तो आप सोचेंगे कि इस प्रक्रिया में क्या-क्या जुड़ा होता है? सरल शब्दों में कहें तो फूड प्रोसेसिंग वह पुल है जो किसान की फसल को आपके प्लेट तक पहुंचाता है, और यह पुल कई नियम, तकनीक और मानकों से बना होता है।
फूड प्रोसेसिंग को समझने के लिए तीन मुख्य कनेक्शन ज़रूरी हैं: पहला, भोजन सुरक्षा, स्वस्थ खपत के लिए निरंतर मानकों, टेस्टिंग और एहतियातों का सेट जो फूड प्रोसेसिंग के हर चरण में लागू होती है। दूसरा, प्रोसेसिंग तकनीक, ऑटोमेटेड कतरी, एच.ए.जी.सी, इन्स्टैंट पॉट जैसे उपकरण और विधियाँ जो उत्पादन को तेज़ और साफ़ बनाती हैं। तीसरा, उद्योग मानक, ISO 22000, FSSAI जैसे नियम जो गुणवत्ता और ट्रैसेबिलिटी सुनिश्चित करते हैं। इन तीनों का समुचित संबंध फूड प्रोसेसिंग को सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ बनाता है (फूड प्रोसेसिंग ⟹ भोजन सुरक्षा, फूड प्रोसेसिंग ⟹ प्रोसेसिंग तकनीक, फूड प्रोसेसिंग ⟹ उद्योग मानक)।
भोजन सुरक्षा का प्रभाव नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। जब कोई फसल कटाई के बाद त्वरित ठंडक नहीं पाती या पैकेजिंग में जीवाणु नहीं नियंत्रित होते, तो वही उत्पाद अंत में अस्पताल के बिस्तर बन सकता है। इसलिए फूड प्रोसेसिंग में हाइजीनिक वाल्व, एंटी‑माइक्रोबियल पैकेजिंग और रियल‑टाइम मॉनिटरिंग जैसी प्रैक्टिसेज़ आम हैं। वहीं प्रोसेसिंग तकनीक की बात करें तो आज‑कल AI‑संचालित विज़ुअल इंस्पेक्शन, हाई‑प्रेशर प्रीसिशन कटर और NFC‑ट्रैकिंग सिस्टम उत्पाद की स्थिरता और बैच कंट्रोल में मदद करते हैं। इन तकनीकों को अपनाने से न केवल उत्पादन लागत घटती है, बल्कि बर्बादी भी कम होती है।
फ्रोजन फूड और भविष्य की दिशा
एक और अहम इकाई फ्रोजन फूड, विलंबित उपभोग के लिए कम तापमान पर रखे गए कुछ भी खाद्य पदार्थ है। फ्रोजन फूड का विकास फूड प्रोसेसिंग को 24‑घंटे की उपलब्धता और मौसमी सीमाओं से मुक्त कर दिया है। आज‑का उपभोक्ता ताज़ा, परंतु लंबे समय तक रख सकने वाले विकल्प चाहता है, और यहाँ फ़्रिज़िंग, क्विक‑फ़्रीज़र और क्रायोजेनिक प्लेसमेंट जैसी तकनीकें काम आती हैं। यह तकनीक न सिर्फ रेस्टोरेंट्स और सुपरमार्केट्स के लिए बल्कि छोटे स्तर के दालान या घर-घर में भी उपलब्ध हो रही है।
जैसे-जैसे भारत में खाद्य खर्च बढ़ रहा है, फूड प्रोसेसिंग उद्योग को अपनी लीडरशिप बनाए रखने के लिये निरंतर नवाचार चाहिए। नई कर्वे‑ऑफ तकनीक जैसे क्विक‑फ़्रिज़, प्लेट‑फॉर्म डिजिटल ट्रेसबिलिटी और क्लीन‑इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपनाने से उत्पादन की गति, गुणवत्ता और उपभोक्ता भरोसा तीनों में वृद्धि होगी। यही कारण है कि आज के कई न्यूज़ आइटम, चाहे इमरजेंसी चेतावनी हो या एंटी‑कंस्यूमर रिपोर्ट, फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी टेक्निकल या नियामक बातों को छूते हैं – क्योंकि सब कुछ इस बड़े इकोसिस्टम में एक दूसरे को प्रभावित करता है।
अब आप तैयार हैं इस टैग के तहत लिस्टेड लेखों को पढ़ने के लिए, जहाँ इमरजेंसी मौसम अपडेट से लेकर बीजीएम, बीपीएल आदि की खबरों तक सभी फूड प्रोसेसिंग के विभिन्न पहलुओं को कवर किया गया है। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ नवीनतम प्रवृत्तियों से अपडेट रहेंगे, बल्कि दैनिक जीवन में फूड प्रोसेसिंग के असर को भी समझ पाएंगे।
World Food India Summit के पहले दिन Reliance Consumer Products ने सरकार के साथ 40,000 करोड़ रुपये का फूड मैन्युफैक्चरिंग समझौता किया। महाराष्ट्र के कातोल और आंध्र प्रदेश के कर्नूल में 1,500 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिससे एशिया के सबसे बड़े फूड पार्क बनाने का लक्ष्य है। इस कदम से FMCG में कंपनी की स्थिति मजबूत होगी, साथ ही भारतीय खाद्य प्रॉसेसिंग को नई ऊर्जा मिलेगी।