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शपथ ग्रहण क्या है? सरल शब्दों में समझिए

कभी सोचा है कि जब नया नेता या अधिकारी पद पर बैठता है तो वह हाथ उठाकर जो कहता है, उसका असल मतलब क्या होता है? यही शपथ ग्रहण है – एक वचन जिसे कानून और जनता की नजरें देख रही होती हैं। इस लेख में हम बात करेंगे कि शपथ क्यों ली जाती है, किस तरह से ली जाती है और आज के समय में इसका असर कितना बड़ा है।

शपथ ग्रहण की ऐतिहासिक जड़ें

भारत में शपथ का प्रथा बहुत पुरानी है। स्वतंत्रता से पहले भी राजाओं ने अपने दरबारियों को वफादारी की कसम दिलाई थी, लेकिन आधुनिक लोकतंत्र में शपथ को संविधान ने एक आधिकारिक कदम बना दिया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75-78 में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सभी मंत्रियों के लिये शपथ का उल्लेख है। पहली बार भारत की स्वतंत्रता पर 26 जनवरी 1950 को राजगुरु दयाल सिंह ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, जो आज तक हर राष्ट्रपति द्वारा दोहराई जाती है।

आधुनिक समय में शपथ का महत्व

आज जब कोई नया सांसद या राज्यपाल पद संभालता है, तो वह सिर्फ नाम नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी भी ले जाता है। शपथ की शब्दावली में "भारत के संविधान को सम्मान देना", "जनता के अधिकारों की रक्षा" जैसी बातें होती हैं। यह क़दम दो चीजें करता है – पहली, सार्वजनिक रूप से यह दिखाता है कि अधिकारी अपने फ़र्ज़ समझता है; दूसरी, अगर वह इन वादों से हटे तो कानूनी कार्रवाई संभव हो जाती है। हाल ही में कई राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों की शपथ समारोह लाइव टेलीविजन पर प्रसारित हुए, जिससे आम जनता को भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना आसान हुआ।

शपथ के समय हाथों की स्थिति, किताब या संविधान की उपस्थिति, और वाक्यांशों की सटीकता सभी तय नियम हैं। अक्सर मीडिया इन छोटी-छोटी बातों को पकड़ लेती है – जैसे कोई नेता अपने शपथ में "सत्यम्" शब्द जोड़ देता है तो वह दर्शकों के मन में भरोसा बढ़ाता है। यही कारण है कि राजनेता अपनी भाषा में सावधानी रखते हैं, क्योंकि एक बार कह दिया तो जनता याद रखेगी।

शपथ ग्रहण सिर्फ औपचारिकता नहीं; यह लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। जब आप अगले चुनाव या नई सरकार के घोषणा देखते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि शपथ में दिये गये वादे ही वह आधार बनते हैं जिस पर जनता भरोसा करती है। इसलिए, चाहे आप नागरिक हों या राजनेता, शपथ को समझना और उसका सम्मान करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है।

चंद्रबाबू नायडू 12 जून को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे

चंद्रबाबू नायडू 12 जून को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे

तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू 12 जून को आंध्र प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे । शपथ ग्रहण समारोह विजयवाड़ा के केसरापल्ली आईटी पार्क, गन्नवरम में आयोजित होगा, जिसमें नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ एनडीए नेता और बड़ी संख्या में टीडीपी समर्थक शामिल होंगे।

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