16 फरवरी 2025 को दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए दिल दहला देने वाले हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई। इनमें पांच बच्चे भी शामिल थे। अफरातफरी उस समय मची जब हजारों श्रद्धालु प्रयागराज के महाकुंभ मेले के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पर जमा हुए थे। रात के 9:55 बजे घटना की शुरुआत हुई जब भीड़ ने प्लेटफॉर्म 14 और 16 पर चढ़ने की कोशिश की। स्टेशन पर टिकटों की बिक्री को लेकर हुई भारी भीड़ और विशेष ट्रेनों के अचानक किए गए घोषणाओं ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
रेल मंत्रालय ने दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है जिसमें नारसिंह देव (PCCM, उत्तर रेलवे) और पंकज गंगवार (PCSC, उत्तर रेलवे) शामिल हैं। ये समिति भीड़ प्रबंधन में हुई खामियों की जाँच करेगी। स्वयं रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव स्थिति पर नजर रख रहे थे लेकिन जमीनी अधिकारी समय पर कार्रवाई नहीं कर सके। यही नहीं, दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने स्थल का दौरा किया और RPF की अपर्याप्त तैनाती पर सवाल उठाया।
घायलों और मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की गई है जिसमें मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये, गंभीर घायलों को 2.5 लाख रुपये और मामूली घायलों को 1 लाख रुपये दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर शोक जताया और घायलों की शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
चश्मदीद गवाहों ने बताया कि प्लेटफार्मों पर अत्यधिक भीड़ थी, कुछ ने अपने रिश्तेदारों की मौत और खुद बाल-बाल बचने के अनुभव साझा किए। राजनाथ सिंह और राहुल गांधी जैसे प्रमुख राजनीतिक नेताओं ने रेलवे प्रशासन की लापरवाही के लिए आलोचना की है। जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण और स्टेशन प्रबंधन की वास्तविकताओं का अध्ययन किया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
Manu Tapora
फ़रवरी 16 2025ये भीड़ वाला शोर तो हर बार होता है, पर इतनी बड़ी मौत का कारण बन जाना अजीब है। टिकट काउंटरों पर लाइन लगी होती है, प्लेटफॉर्म पर भीड़ होती है, पर रेलवे के पास कोई रियल-टाइम मॉनिटरिंग नहीं? CCTV फुटेज तो बहुत है, पर क्या किसी ने उसे अनलॉक करके देखा भी है? ये सिर्फ जांच समिति बनाने से नहीं बचेगा।
srilatha teli
फ़रवरी 17 2025हर एक जीवन अमूल्य है। ये घटना केवल एक आपदा नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक जागरूकता की असफलता का प्रतीक है। जब हम अपने बच्चों को भीड़ में ले जाते हैं, तो क्या हमने कभी सोचा कि इस देश में भीड़ का जोखिम कितना अधिक है? हमें अब बस निराशा नहीं, बल्कि एक नया नैतिक दायित्व भी लेना होगा। रेलवे के लिए बस नियम नहीं, बल्कि एक नैतिक अनुशासन बनाना होगा।
Sohini Dalal
फ़रवरी 18 2025अरे यार, भीड़ वाला मामला तो हर साल होता है, लेकिन इस बार तो बस एक ट्रेन के लिए लोग बहुत जल्दी दौड़े। अगर रेलवे के पास ऑनलाइन बुकिंग नहीं है, तो फिर लोग क्या करें? ये सब तो सरकार की नीतियों की गलती है, न कि लोगों की।
Suraj Dev singh
फ़रवरी 20 2025मैं तो सोच रहा था कि इतनी बड़ी घटना के बाद क्या बदलेगा? लेकिन अगर हम सब मिलकर अपने घरों से शुरुआत करें - जैसे ट्रेन भरने से पहले टिकट ऑनलाइन बुक करें, भीड़ में शांत रहें - तो ये घटनाएं रोकी जा सकती हैं। बस एक छोटी सी जिम्मेदारी से बहुत कुछ बदल सकता है।
Arun Kumar
फ़रवरी 20 2025अरे भाई, ये तो बिल्कुल वैसा ही है जैसे दिल्ली में दिवाली के दिन रोड पर जाना! लोग भाग रहे हैं, चिल्ला रहे हैं, कोई नहीं देख रहा - और फिर एक बार जब बारिश हो जाए तो सब बोलते हैं 'अरे ये कैसे हो गया?' बस, अब जांच समिति बनाओ, फिर अगले साल फिर वही गाना।
venkatesh nagarajan
फ़रवरी 21 2025यह घटना एक व्यवस्था के असफलता का प्रतीक है - जहाँ नियमों की जगह अनुभव और अनुमान चलते हैं। जब तक हम लोगों को नियंत्रित करने की बजाय नियमों को मजबूत करने पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक ये घटनाएँ दोहराई जाएँगी। इंसान नहीं, प्रणाली को बदलना होगा।
Drishti Sikdar
फ़रवरी 21 2025क्या आपने सुना है कि रेलवे ने अभी तक भीड़ के लिए अलग से एक अधिकारी नियुक्त नहीं किया? और ये जांच समिति तो बस नाम के लिए है - वास्तविक जिम्मेदार कौन है? क्या आप जानते हैं कि उत्तर रेलवे के पास भीड़ प्रबंधन के लिए कितने स्टाफ हैं? मुझे लगता है कि ये सब बहुत गहरा है।
indra group
फ़रवरी 23 2025ये सब बाहरी शक्तियों का षड्यंत्र है! हमारे रेलवे को इतना बुरा क्यों दिखाया जा रहा है? अमेरिका में भी लोग ट्रेनों से गिर जाते हैं, पर क्या कोई उनके खिलाफ इतना गुस्सा करता है? हमारे लोगों की भीड़ को बुराई क्यों बनाया जा रहा है? हमारी संस्कृति में भीड़ होना ही नैसर्गिक है - इसकी तारीफ करो, न कि उसकी निंदा!
sugandha chejara
फ़रवरी 23 2025इस तरह की घटनाओं के बाद सबसे जरूरी है - निराशा की जगह सहानुभूति। हर मृतक के परिवार के लिए एक दिल से श्रद्धांजलि। और हाँ, जांच समिति के अलावा, आम आदमी को भी बताया जाए कि कैसे भीड़ में सुरक्षित रहें। बच्चों के साथ ट्रेन लेने वाले पेरेंट्स के लिए एक छोटा सा गाइडलाइन - ये भी बहुत जरूरी है। एक छोटा सा ज्ञान, बहुत बड़ा बचाव।