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Taapsee Pannu मेरठ में घाघरा पहन शूटिंग करती दिखीं, 'सांड की आंख' के लिए सीखा पिस्टल चलाना

Taapsee Pannu मेरठ में घाघरा पहन शूटिंग करती दिखीं, 'सांड की आंख' के लिए सीखा पिस्टल चलाना

मेरठ की गलियों में पिस्टल, घाघरा और शूटिंग का जबरदस्त मेल

Taapsee Pannu को आमतौर पर ग्लैमर अवतार में देखा जाता है, लेकिन मेरठ के बागपत जिले के जौहरी गाँव में तो बात ही कुछ और थी। वह सिर पर रंगीन दुपट्टा और पारंपरिक उत्तर प्रदेश का घाघरा पहने पिस्टल थामे नज़र आईं। लोग दूर-दूर से सिर्फ Taapsee को अपनी आंखों के सामने असली बंदूक चलाते हुए देखने जुटने लगे। 'सांड की आंख' की शूटिंग किसी त्योहार सा लग रहा था।

Taapsee ने इस रोल को निभाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। Prakashi Tomar — जो 'रिवॉल्वर दादी' के नाम से दुनियाभर में फेमस हैं — उन्हीं की कहानी पर फै़ल्म बन रही है। और इसे असली टच देने के लिए Taapsee ने Prakashi और उनकी भाभी Chandro Tomar (जिन्हें 'शूटर दादी' कहा जाता है) के साथ गाँव में अच्छा खासा वक्त बिताया। उन्होंने इन दोनों बहादुर दादियों के हाव-भाव, चलने, बोलने और सबसे ज़रूरी, पिस्टल की शूटिंग सीखने में खूब पसीना बहाया।

फिल्म 'सांड की आंख' का असलीपन: एक्टिंग नहीं, असलियत दिखाने का एक्सपीरियंस

फिल्म ने उत्तर प्रदेश के असली गाँव चुने ताकि दर्शक को लगे कि कहानी उन्हीं धरती से निकली है। प्रोड्यूसर Anurag Kashyap के साथ Tushar Hiranandani के डायरेक्शन में, कास्ट और क्रू ने दो महीनों से भी ज़्यादा वक्त मेरठ-आसपास बिताया। शूटिंग के दौरान Taapsee और Bhumi Pednekar (जो Chandro Tomar की भूमिका में हैं) ने एक-एक मूवमेंट और बंदूक की बारीकियाँ सीखी — ये सब बोरियत से दूर, नए जोश के साथ।

फिल्म के सेट पर कभी कभार ब्रेक मिलता था तो दोनों ऐक्ट्रेसेज़ ने वही लोकल थिएटर में जाकर 'गली बॉय', 'मणिकर्णिका' और 'केसरी' तक देख डाली। एक दिन Taapsee बच्चों से मिलने स्कूल भी पहुँच गईं। गाँववालों के लिए ये नज़ारा बिल्कुल हटके था — बड़े पर्दे की हीरोइन यहाँ की गन्दी-सड़ी गलियों में घाघरा पहनकर घूम रही, बच्चों के साथ बातें कर रही, और देर शाम पिस्टल का शोर गूँज रहा।

'सांड की आंख' सिर्फ दो दादियों की स्टोरी नहीं है, ये उम्र की सीमा तोड़ने और समाज की सोच बदलने वाली इंस्पिरेशनल कहानी है। Prakashi और Chandro Tomar ने 50 की उम्र के बाद शूटिंग शुरू की थी और राष्ट्रीय स्तर की शार्पशूटर्स बन गईं। Taapsee कभी खुद कहती हैं, "ये मेरी अब तक की सबसे बढ़िया एक्सपीरियंस था — इन औरतों में गज़ब की ताकत और दिल है।" ये फार्मूलाबद्ध बायोपिक नहीं, एकदम जज़्बात से भरी, ठेठ देसी कहानी है।

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Taapsee Pannu ने फिल्म 'सांड की आंख' की शूटिंग के दौरान मेरठ के गांव में पारंपरिक घाघरा पहनकर पिस्टल चलाने की ट्रेनिंग ली। फिल्म में वे 'रिवॉल्वर दादी' Prakashi Tomar की भूमिका निभा रही हैं। असली दादी के साथ रहकर अभिनय में असलीपन लाया गया।

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