काचीगुड़ा और हिसार के बीच स्पेशल ट्रेन सेवा: यात्रियों को बड़ी राहत
गर्मी की छुट्टियों में ट्रेनों में सीट मिलना हमेशा मुश्किल रहता है, लेकिन अब दक्षिण मध्य रेलवे ने काचीगुड़ा से हिसार के बीच स्पेशल ट्रेन शुरू कर दी है। आज से चल रही ये खास समर स्पेशल ट्रेनें उन लोगों के लिए राहत का सबब हैं जिन्हें हर बार लंबी वेटिंग लिस्ट परेशान करती थी।
कुल दो ट्रेन नंबर – 07717 और 07055 – इस सेवा के अंतर्गत चलेंगी। ट्रेन नंबर 07717 काचीगुड़ा से शाम 4 बजे रवाना होती है और लगभग 46 घंटे का सफर तय कर हिसार जंक्शन पर दोपहर 2:05 बजे पहुंचती है। यह ट्रेन 2,193 किलोमीटर की दूरी में 39 स्टेशनों पर रुकती है। दूसरी ओर, ट्रेन नंबर 07055 तीन दिन में 1,337 किलोमीटर की यात्रा पूरी करती है और इस दौरान 41 स्टेशन इसके सफर में शामिल हैं। दोनों ट्रेनें थर्ड एसी (3A) सीटिंग के साथ चलाई जा रही हैं, जिससे मिड-बजट यात्री भी आरामदायक सफर कर सकेंगे।
रूट में रतलाम और मंदसौर जैसी अहम कड़ियाँ
इस लंबे रूट की खास बात है कि इसके रास्ते में रतलाम और मंदसौर जैसे बड़े स्टेशन हैं। इन स्टेशनों का कनेक्शन न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि राजस्थान और गुजरात जैसे इलाकों को भी फायदा देता है। ट्रेन के रुकने वाले अन्य अहम स्टेशनों में हैदराबाद डेक्कन नांपल्ली, मल्काजगिरी जंक्शन और चंदननगर शामिल हैं।
दक्षिण मध्य रेलवे ने बताया कि गर्मियों में यात्रियों की भीड़ देखते हुए कुल 22 ट्रिप प्रस्तावित की गई हैं। यह सेवा जुलाई और अगस्त 2025 तक जारी रहेगी, जिससे रक्षाबंधन से लेकर स्वतंत्रता दिवस व अन्य त्योहारों के दौरान भीड़ पर नियंत्रण रहेगा।
- टिकट बुकिंग के लिए यात्री IRCTC, गोइबिबो और अडानी वन जैसे पोर्टल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- दोनों रेल सेवाएं पूरी तरह वातानुकूलित थर्ड एसी बोगियों के साथ हैं, जिससे सफर आरामदायक बन जाएगा।
- अधिकतम ठहराव वाले स्टेशन और लंबा रूट परिवार और व्यापारिक यात्रियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
कुल मिलाकर, इस समर स्पेशल सेवा से न सिर्फ दक्षिण भारत बल्कि उत्तर भारत को भी नई कनेक्टिविटी मिल रही है, जो छुट्टियों और त्योहारों के दौरान हजारों यात्रियों को राहत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
srilatha teli
अगस्त 5 2025इस नई ट्रेन सेवा का असली फायदा तो उन परिवारों को हो रहा है जो दक्षिण और उत्तर भारत के बीच सालभर एक दूसरे से दूर रहते हैं। रतलाम और मंदसौर जैसे स्टेशनों को शामिल करने से छोटे शहरों के लोगों को भी एक नया अवसर मिला है। यात्रा अब सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक जुड़ाव बन गई है।
थर्ड एसी का इस्तेमाल बहुत समझदारी से किया गया है - न तो बहुत महंगा, न ही बहुत असुविधाजनक। ये ट्रेनें वास्तव में मध्यम आय के लोगों के लिए एक उपहार हैं।
22 ट्रिप्स का फैसला भी बहुत सही है। रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस के दौरान भीड़ को संभालने का ये एकमात्र तरीका है।
IRCTC पर टिकट बुक करने में अभी भी तकलीफ होती है, लेकिन गोइबिबो और अडानी वन जैसे प्लेटफॉर्म्स का आना एक बड़ी बदलाव का संकेत है।
ये सिर्फ एक ट्रेन नहीं, ये एक सामाजिक बदलाव है। भारत की रेलवे अब सिर्फ ट्रैक्स पर नहीं, बल्कि लोगों के जीवन पर भी चल रही है।
Sohini Dalal
अगस्त 5 2025अरे यार, ये सब तो बस एक और लोकप्रिय ट्रेन है - असल में तो ये ट्रेन भी 48 घंटे में पहुंचेगी और बीच में 5 घंटे रुकेगी क्योंकि किसी की माँ ने ट्रेन पर चाय बनाने के लिए बोल दिया।
Suraj Dev singh
अगस्त 5 2025सोहिनी बहन की बात में कुछ सच है, लेकिन इस ट्रेन के बारे में असली बात ये है कि इसने दक्षिण भारत से उत्तर भारत के बीच एक नया नेटवर्क बना दिया है।
मैं रतलाम से हूँ - यहाँ के लोगों के लिए ये ट्रेन एक बड़ी राहत है। पहले हमें हैदराबाद जाने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था, अब सीधे।
थर्ड एसी के साथ ये ट्रेन असल में बहुत सही फैसला है। बिना बिजली के बोगी में घूमने की जगह, एक ठंडी हवा वाली ट्रेन में बैठकर घर की याद आना बहुत अच्छा लगता है।
अगर इस रूट पर और भी ट्रेनें चलने लगें, तो ये भारत के रेल नेटवर्क का सबसे बड़ा बदलाव होगा।
Arun Kumar
अगस्त 7 2025अरे भाई, ये ट्रेन तो असल में एक ड्रामा है! कल रात मैंने एक आदमी को देखा जो अपनी बेटी के साथ बोगी में एक नन्हे से टीवी पर बॉलीवुड फिल्म देख रहा था - आवाज़ इतनी ज़ोर से कि पूरा बोगी जाग गया।
और फिर वो बच्चा बोगी के बीच में चलने लगा, फिर उसने एक आदमी के चश्मे पर हाथ रख दिया और बोला - ‘अंकल, ये चश्मा तो लगता है जैसे आपकी आँखें बाहर निकल रही हों!’
मैंने सोचा - ये ट्रेन नहीं, ये एक रेलवे स्टेशन पर खुला सिनेमा है।
मंदसौर में एक आदमी ने अपनी चाय की चुस्की लेते हुए बोला - ‘ये ट्रेन तो मेरी जिंदगी की एक बड़ी फिल्म है।’
मैंने उसकी ओर देखा - उसकी आँखों में आँसू थे।
ये ट्रेन नहीं, ये एक जिंदगी है।
Manu Tapora
अगस्त 8 2025ट्रेन नंबर 07717 के रूट को देखकर लगता है कि इसमें रतलाम और मंदसौर को शामिल करने का मकसद सिर्फ यात्रियों की सुविधा नहीं, बल्कि रेलवे के लिए ऑपरेशनल लाभ भी है।
रतलाम एक बड़ा रेलवे जंक्शन है और इसके बाद मंदसौर तक का रूट लगभग 150 किमी है - ये एक अच्छा लोड बैलेंसिंग विकल्प है।
अगर ये ट्रेन नियमित रूप से चलने लगी, तो इसके बाद शिवपुरी, अशोकनगर और बारासेन जैसे छोटे स्टेशनों को भी शामिल किया जा सकता है।
थर्ड एसी का चयन भी बहुत तार्किक है - इसमें सीटिंग की अधिकतम क्षमता 72 है, जो बिना बहुत ज्यादा खर्च किए अच्छी आय देता है।
लेकिन एक बात जो मुझे थोड़ी चिंता दे रही है - इस ट्रेन के लिए बिजली की आपूर्ति कैसे होगी? अगर बोगी वातानुकूलित हैं, तो बिजली की खपत बहुत ज्यादा होगी।
क्या इसके लिए डीजल लोकोमोटिव या इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का इस्तेमाल किया जा रहा है?
और एक और सवाल - इन ट्रेनों के लिए रेलवे ने अलग से बोगी तैयार किए हैं या इन्हें अन्य ट्रेनों से रिसाइकिल किया गया है?
अगर कोई इन बातों के बारे में जानता है, तो कृपया बताएं।
venkatesh nagarajan
अगस्त 9 2025ये ट्रेन शायद लोगों को जगहों तक पहुंचाती है, लेकिन क्या ये उनके दिलों को भी जोड़ पाएगी?
जब एक आदमी अपने बेटे के साथ एक ट्रेन में बैठता है, तो वह अपने बेटे को अपनी यादें सुनाता है - वो यादें जो उसने अपने पिता से सुनी थीं।
लेकिन जब वो बेटा बड़ा हो जाता है, तो वो अपने बेटे को ये यादें नहीं सुनाता।
ये ट्रेन रास्ते जोड़ती है, लेकिन क्या ये जीवन के रास्ते भी जोड़ पाएगी?
क्या हम अपने बच्चों को वो बातें सुनाते हैं जो हमें सुनाई गईं, या हम सिर्फ उन्हें टिकट दे देते हैं?
इस ट्रेन के बारे में सोचना बहुत आसान है।
लेकिन इसके बाद की सोच - वो बहुत मुश्किल है।
Drishti Sikdar
अगस्त 11 2025मैं तो बस एक बात पूछना चाहती हूँ - इस ट्रेन में अगर कोई लड़की अकेले बैठ जाए, तो उसके लिए सुरक्षा का क्या इंतजाम है? क्या इस ट्रेन में लड़कियों के लिए अलग बोगी हैं या सिर्फ एक बेसिक थर्ड एसी?
मैंने एक बार एक ट्रेन में अकेले यात्रा की थी - उस दौरान एक आदमी ने मेरे सीट के बगल में बैठकर बातें करनी शुरू कर दीं। जब मैंने कहा कि मैं बात नहीं करना चाहती, तो उसने मुझे बताया - ‘अरे यार, ये ट्रेन तो सबके लिए है, तुम क्यों नाराज़ हो रही हो?’
इस ट्रेन में भी ऐसा होगा न?