डिमर्जर – कंपनी को विभाजित करने की प्रक्रिया
जब हम डिमर्जर, कंपनी को दो या दो से अधिक स्वतंत्र इकाइयों में बाँटने की कानूनी प्रक्रिया, भी कहा जाता है विभाजन की बात करते हैं, तो यह सिर्फ काग़ज़ी काम नहीं होता। यह विलय, दो या अधिक कंपनियों के मिलकर एक नई इकाई बनना के उलटे पक्ष जैसा है – जहाँ एक बड़ा समूह बनता है, वहीं डिमर्जर से बड़ा समूह छोटा हो जाता है। यही नहीं, कॉर्पोरेट कानून, कानून जो कंपनियों के गठन, संचालन और अंत को नियंत्रित करता है इस प्रक्रिया को दिशा‑निर्देश देता है, और निवेशक, वे लोग या फर्में जो कंपनी में पूँजी लगाते हैं इस बदलाव से सीधे जुड़े होते हैं क्योंकि उनका फायदा या नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि नई इकाइयों का मूल्य कैसे तय किया गया।
डिमर्जर के मुख्य पहलू
डिमर्जर कंपनी पुनर्संरचना का एक साधन है, जिसके तहत मुख्य संपत्तियों को अलग‑अलग इकाइयों में बाँटा जाता है। उदाहरण के तौर पर, अगर एक समूह में रियल एस्टेट, तेल‑गैस और इलेक्ट्रॉनिक्स के व्यापार हैं, तो डिमर्जर के बाद हर व्यवसाय अपनी अलग कंपनी बन सकता है। इस प्रक्रिया में इक्विटी स्प्लिट – यानी शेयरों को नई कंपनियों में कैसे बाँटा जाएगा – एक महत्वपूर्ण चरण है। बाजार मूल्य पर असर इस बात से पड़ता है कि निवेशक नई इकाइयों को कैसे आंकते हैं; कभी‑कभी डिमर्जर से कुल बाजार पूँजी में वृद्धि देखी जाती है क्योंकि निवेशकों को स्पष्ट व्यवसाय मॉडल मिलते हैं। नियमों के हिसाब से, कंपनी को सभी लेन‑देन, ऋण पुनर्गठन और शेयरहोल्डर्स की सहमति का दस्तावेज़ तैयार करना पड़ता है, जिसे सेक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) की मंज़ूरी लेनी होती है। यह डिमर्जर → नियामक अनुमोदन → मार्केट रेटिंग चक्र एक स्पष्ट समानार्थी संबंध बनाता है, जहां प्रत्येक कदम अगले पर असर डालता है।
आजकल कई बड़े समूह अपने जोखिम को कम करने और फोकस बढ़ाने के लिए डिमर्जर चुन रहे हैं। ऐसा करने से रिस्क मैनेजमेंट आसान हो जाता है और शेयरहोल्डर्स को बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ती है। लेकिन इससे जुड़े चुनौतियाँ भी हैं – नई कंपनियों को स्वतंत्र रूप से वित्त पोषण ढूँढ़ना पड़ता है, कॉर्पोरेट गवर्नेंस को फिर से स्थापित करना पड़ता है, और कभी‑कभी कर संबंधी जटिलताएँ उभरती हैं। इसलिए डिमर्जर पर विचार करने वाले प्रबंधकों को इन सभी पहलुओं का विस्तृत मूल्यांकन करना चाहिए। नीचे आप विभिन्न डिमर्जर‑संबंधित खबरें, केस स्टडी और विशेषज्ञ टिप्स पाएँगे जो आपके लिये निर्णय‑प्रक्रिया को सरल बना सकते हैं।
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