जब महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेता की 156वीं जयंती गांधी जयंती 2025भारत का गमन हो रहा है, तो प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने उनके उद्धरणों और संदेशों का विशेष संग्रह जारी किया है। इस परम्परा न केवल राष्ट्र में शांति के संदेश को पुनः स्थापित करती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाई जाने वाली इस तारीख को वैश्विक शांतिकामनाओं से जोड़ती है।
इतिहास और महत्व
अक्टूबर 2, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे गांधी जी ने अपने जीवन में सत्य और अहिंसा को न केवल सिद्धांत बनाया, बल्कि प्रयोगात्मक तौर पर लागू किया। 1948 में उनका असामयिक ग्रहण भारत को हमेशा के लिये एक नैतिक मानचित्र दे गया। हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला यह त्यौहार स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ सामाजिक न्याय, मानव अधिकार और पर्यावरण संरक्षण के आदर्शों को भी सुदृढ़ करता है।
वर्ष 2025 में यह जयंती 156वीं बार मनाई जा रही है, जिससे यह याद दिलाता है कि उनका संदेश समय के साथ भी फटा नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जहाँ विश्व भर के नेता शांति उपायों पर चर्चा करते हैं।
2025 की विशेषताएँ और आयोजित कार्यक्रम
इस वर्ष कई शहरों में एक-दूसरे से जुड़ी होड़ लगने वाली प्रस्तुतियों का आयोजन हुआ। नई दिल्ली के राजपथ पर ‘शांति पथ’ के साथ रंग-बिरंगे बैनर लगे, जहाँ स्थानीय कलाकारों ने गांधीजी की जीवनधारा को दर्शाते हुए नृत्य और कव्वाली प्रस्तुत की। बड़े पैमाने पर ‘अहिंसा चलाओ, शांति फैलाओ’ अभियानों का भी शुभारम्भ हुआ।
- ऑनलाइन वेबिनार: हर शाम 7 बजे, प्रतिष्ठित शिक्षाविद् डॉ. अजय सिंह ने गांधीजी के शैक्षिक विचारों पर चर्चा की।
- स्कूलों में ‘गांधी‑फ़ाउंडेशन’ द्वारा युवाओं के लिए कार्यशालाएँ, जहाँ सत्याग्रह की तकनीकें सिखायी गईं।
- समीक्षात्मक लेखन प्रतियोगिता – ‘मेरे गाँव में गांधीजी की शिक्षाएँ’, जिसमें 10,000 से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं।
सभी कार्यक्रमों का एक मुख्य लक्ष्य यह था: युवा वर्ग को गांधी जी के सिद्धांतों के साथ प्रेरित करना, ताकि वे अपने दैनिक कार्यों में ईमानदारी, आत्मनिर्भरता और शांति को अपनाएँ।
मीडिया का योगदान
देश के बड़े मीडिया दिग्गजों ने इस अवसर को खास बनाते हुए जमानतों का बहुपक्षीय संग्रह तैयार किया। सबसे पहले, MoneyControl ने 60 से अधिक उद्धरणों की सूची प्रकाशित की, जिसमें उनका प्रसिद्ध कथन ‘पहले वे आपको अनदेखा करेंगे, फिर हँसेंगे, फिर लड़ेंगे, फिर आप जीतेंगे’ भी शामिल था। साथ ही उन्होंने 25 प्रेरक संदेशों को तैयार किया, जो आत्मनिर्भरता, सत्यता और अहिंसा को उजागर करते हैं।
दूसरी ओर, Times of India ने संपूर्ण डिजिटल पैकेज – शुभकामनाएँ, छवियाँ, सोशल‑मीडिया ग्राफ़िक्स और वीडियो क्लिप – इस जयंती के लिए तैयार किया। उन्होंने लिखा, ‘शांती बल से अधिक मजबूत है’ और इसे विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर साझा किया।
लोकप्रिय हिंदी दैनिक Live Hindustan ने शीर्ष 5 उद्धरणों पर विशेष लेख प्रकाशित किया, जो व्यक्तिगत सफलता और सामाजिक समानता दोनों को लक्षित करते हैं। उनकी रिपोर्टिंग ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अहिंसा के सिद्धांत आज के संघर्षों में भी सर्वश्रेष्ठ समाधान हैं।
इसी तरह, News18 ने फोटो‑गैलरी के साथ एक विस्तृत संग्रह तैयार किया, जिसमें ‘आत्म‑विश्वास बिना किसी शक्ति को झुका नहीं सकता’ जैसी गहरी बातों को उजागर किया गया। इस गैलरी में विभिन्न उम्र के लोगों के चेहरे दिखाए गए, जो गांधीजी के शब्दों को सुनकर एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे थे।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ने इस बात को साक्षी बनाया कि गांधीजी के संदेश आज भी युवा‑जन तक पहुँच रहे हैं। व्हॉट्सएप स्टेटस, फेसबुक पोस्ट और इंस्टा‑रील्स में ‘गांधी जयंती 2025’ टैग के साथ 1.2 मिलियन से अधिक शेयर हुए। कई उपयोगकर्ताओं ने #PeaceOverWar और #TruthAndNonViolence जैसे हैशटैग चलाए, जिससे विवाद‑पूर्ण मुद्दों पर भी शांति की आवाज़़़ उठी।
विशेष रूप से, एक वायरल वीडियो में एक स्कूल छात्र ने गांधीजी के उद्धरण को रैप‑स्टाइल में प्रस्तुत किया, जिसने लाखों दर्शकों का दिल जीत लिया। इस प्रकार की रचनात्मक अभिव्यक्तियाँ दर्शाती हैं कि आधुनिक तकनीक गांधीजी के सिद्धांतों को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने में कितनी सशक्त है।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की दिशा
समाजशास्त्री प्रो. रचना दत्ता ने कहा, “गांधी जयंती केवल ऐतिहासिक स्मरण नहीं, बल्कि आज के सामाजिक असंतुलन के समाधान के लिये एक मार्गदर्शक भी है। जब हम अहिंसा को व्यक्तिगत स्तर पर अपनाते हैं, तो सामाजिक धारा में भी परिवर्तन आता है।”
आर्थिक विश्लेषक श्री. अर्नव मिश्रा ने उद्धरण किया कि “गांधीजी की स्वावलंबन की नीति आज की स्टार्ट‑अप संस्कृति में प्रतिध्वनि पाती है। छोटे‑छोटे उद्यमों की सफलता उनके ‘स्थानीय उत्पादन’ के विचार से जुड़ी हुई है।”
भविष्य को देखते हुए, कई सामाजिक संगठनों ने यह तय किया है कि अगली साल की जयंती में ‘डिजिटली अहिंसा’ पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ, जहाँ साइबर‑बुलीइंग और ऑनलाइन हिंसा के विरुद्ध रणनीतियों पर चर्चा होगी। यह संकेत देता है कि गांधी जी की विचारधारा समय के साथ निरंतर विकसित हो रही है।
मुख्य तथ्य (Key Facts)
- गांधी जयंती 2025 – 2 अक्टूबर, भारत के सभी प्रमुख शहरों में मनाया गया।
- मुख्य उद्धरण: “पहले वे आपको अनदेखा करेंगे, फिर हँसेंगे, फिर लड़ेंगे, फिर आप जीतेंगे।”
- MoneyControl ने 60+ उद्धरण, Times of India ने 30+ डिजिटल शैलियों का योगदान दिया।
- सोशल‑मीडिया पर #GandhiJayanti2025 हैशटैग के साथ 1.2 मिलियन शेयर।
- भविष्य में ‘डिजिटली अहिंसा’ कार्यशालाओं की योजना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गांधी जयंती 2025 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस जयंती का प्रमुख उद्देश्य महात्मा गांधी के अहिंसा, सत्य और आत्मनियंत्रण के सिद्धांतों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है, ताकि समकालीन सामाजिक‑राजनीतिक चुनौतियों का शांति‑पूर्ण समाधान खोजा जा सके।
कौन‑कौन से प्रमुख मीडिया ने उद्धरण साझा किए?
MoneyControl, Times of India, Live Hindustan और News18 ने क्रमशः 60+ उद्धरण, 30+ डिजिटल सामग्री, शीर्ष 5 उद्धरण और फोटो‑गैलरी के रूप में योगदान दिया।
गांधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?
अहिंसा गांधीजी की सबसे बड़ी वारिसी है। संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया, ताकि विश्वभर में शांति‑प्रदान के उपायों को प्रोत्साहन मिल सके।
क्या इस जयंती में स्कूलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित हुए?
हां, ‘गांधी‑फाउंडेशन’ के तहत देशभर के स्कूलों ने सत्याग्रह कार्यशालाएँ और लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित कीं, जिसमें छात्र गांधीजी की विचारधारा को अपने जीवन में लागू करने की कोशिश करते हैं।
भविष्य में गांधी जयंती के आयोजन में क्या नई पहलें होंगी?
अगले वर्ष से ‘डिजिटली अहिंसा’ कार्यशालाएँ, ऑनलाइन पेड़‑रोपण अभियान और युवा‑उद्यमी सम्मेलनों की योजना है, जिससे गांधीजी के सिद्धांतों को आधुनिक तकनीक और व्यवसाय में भी थामे रखा जा सके।
Devendra Pandey
अक्तूबर 3 2025गांधी की शिक्षाएँ अक्सर आदर्शी रूप में प्रस्तुत की जाती हैं, पर असली मुद्दा यह है कि आज की पीढ़ी इन विचारों को सिर्फ स्मृति में नहीं, बल्कि व्यावहारिक रूप से अपनाए। यह सिर्फ उद्धरणों का संग्रह नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की वास्तविकता की परीक्षा है। एक विचारक के तौर पर मैं कहूँगा कि प्रेम और अहिंसा का सिद्धांत तभी काम करता है जब वह आर्थिक और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ लड़ाई में भी शामिल हो।
manoj jadhav
अक्तूबर 10 2025बहुत ही शानदार प्रस्तुति, भाई! उद्धरणों को इस तरह सजाकर, सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देना-- यह तो बिल्कुल सही दिशा है, लेकिन क्या हमें आगे की कार्रवाई नहीं दिखती? मैं सोचता हूँ, इन कार्यक्रमों को स्कूलों में जोड़ना, स्थानीय युवा संगठनों को सहभागी बनाना, और फिर उनकी प्रतिक्रिया को जनसंपर्क में लाना, बहुत ज़रूरी है।
saurav kumar
अक्तूबर 16 2025गांधी जयंती पर सामुदायिक पहल बहुत उपयोगी लगती है, खासकर स्कूलों में कार्यशालाएँ।
Ashish Kumar
अक्तूबर 22 2025आइए, इस सच्चे राष्ट्रभक्त को केवल स्मरण नहीं करते, बल्कि हम उसके घरजना (विचार) को अपने दैनिक जीवन में लागू करते हैं। ऐसा नहीं किया तो हमारे प्रयास फजूल में जाएंगे। एवं, इस तरह के कार्यक्रम बहुत ही उपयोगी हैं, परन्तु उनके प्रभाव का औसत मापा नहीं गया।
Pinki Bhatia
अक्तूबर 27 2025गांधी जयंती के मौके पर सभी ने मिलकर शांति के संदेश को फैलाया, यह देख कर बहुत आशावाद महसूस हुआ। इन कार्यक्रमों में भाग लेकर युवा वर्ग को भी वास्तविक उदाहरण मिलते हैं कि कैसे छोटे‑छोटे कदम बड़े परिवर्तन ला सकते हैं।
NARESH KUMAR
नवंबर 2 2025बिलकुल सही कहा तुम्हारी बात! 🌟 इन गतिविधियों से न सिर्फ़ इतिहास की समझ बढ़ती है, बल्कि नई पीढ़ी को प्रेरणा भी मिलती है। चलो, हम सब मिलकर इनको आगे बढ़ाएँ! 🙌
Purna Chandra
नवंबर 7 2025समाज में गहरी जड़ें जमाने वाले तंत्र को दोषी ठहराने से बेहतर है, यह देखना कि कैसे एलीट वर्ग इन कार्यक्रमों को अपने ही स्वार्थ के लिए मोड़ता है। नियंत्रणकों के हाथ में मीडिया का दायरा बंद हो गया है, इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए।
Mohamed Rafi Mohamed Ansari
नवंबर 12 2025आपके दृष्टिकोण में कई सत्य बिंदु हैं। यदि हम इन कार्यशालाओं को विभिन्न विद्यालयों में नियमित रूप से आयोजित करें और उनका मूल्यांकन करें, तो गांधीजी के सिद्धांतों का प्रभावी प्रसार संभव हो सकता है। आगे चलकर मैं कुछ डेटा इकट्ठा करने में मदद करूँगा।
अभिषेख भदौरिया
नवंबर 16 2025गांधी जयंती का महत्व केवल इतिहासिक स्मरण तक सीमित नहीं होना चाहिए; यह वर्तमान सामाजिक चुनौतियों के समाधान में एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में कार्य करता है। पहला उपाय यह है कि शैक्षिक संस्थानों में सतत् कार्यशालाओं का कार्यक्रम स्थापित किया जाए, जिससे छात्रों को सत्याग्रह की व्यावहारिक तकनीकें सीखने को मिलें। दूसरा, स्थानीय समुदायों में स्वयंसेवी समूहों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे नि:शुल्क सेवा के माध्यम से अहिंसा को लागू कर सकें। तीसरा, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके युवा वर्ग तक संदेश पहुंचाया जाए, जिससे वे सोशल मीडिया पर सकारात्मक अभियानों को बढ़ावा दें। चौथा, आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए छोटे-छोटे उद्यमियों को समर्थन देना आवश्यक है, क्योंकि गांधीजी के स्वदेशी विचार आज के स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम में पूरी तरह फिट होते हैं। पाँचवाँ, पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को गांधीजी की सरिस्थितिचेतना के साथ जोड़ना चाहिए, जिससे सतत विकास के सिद्धांत लागू हों। छठा, महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहिए, क्योंकि उनका योगदान सामाजिक परिवर्तन में अनिवार्य है। सातवाँ, विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच संवाद को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे सामाजिक समन्वय स्थापित हो। आठवाँ, राजनीतिक वाद-विवाद में अहिंसा के सिद्धांत को लागू किया जाना चाहिए, जिससे साम्प्रदायिक तनाव कम हो। नवम्, राष्ट्रीय स्तर पर एक वार्षिक अहिंसा पुरस्कार स्थापित किया जा सकता है, जिससे प्रेरणा मिलती रहे। दसवाँ, स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गांधीजी की जीवनधारा को दर्शाया जाए, जिससे जनता के दिल में उनका सम्मान बना रहे। ये सभी कदम मिलकर गांधी जयंती को एक सक्रिय परिवर्तनात्मक मंच बनाते हैं। आगे देखते हुए, हमारे युवा वर्ग को इन सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है, क्योंकि वही भविष्य का निर्माण करेंगे। इस दिशा में सरकार, NGOs, और निजी क्षेत्र को समन्वित प्रयास करना चाहिए। अंततः, गांधी जयंती का सच्चा सार तभी जीवित रहेगा जब हम इसे केवल समारोह नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में एक प्रतिबद्धता बनाकर अपनाएँ।