ओलंपिक खेलों का महत्त्व विश्व स्तर पर बहुत अधिक है और इसमें दुनिया भर के खिलाड़ी भाग लेते हैं, अपने-अपने देशों का नाम रौशन करने के लिए। इस लेख में, हम विशेष रूप से उन देशों और खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिन्होंने सर्वाधिक ओलंपिक पदक जीते हैं और आगामी पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में उनकी संभावनाओं पर भी प्रकाश डालेंगे।
संयुक्त राज्य अमेरिका का दबदबा
संयुक्त राज्य अमेरिका ने ओलंपिक खेलों में हमेशा से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अब तक, यूएसए ने कुल 2,975 पदक जीते हैं, जिसमें से 1,180 स्वर्ण पदक शामिल हैं। यह उपलब्धि स्वतः स्पष्ट करती है कि यूएसए का ओलंपिक खेलों में कितना भारी दबदबा है। हर बार नए खेलों में इसके खिलाड़ियों ने अपनी छाप छोड़ी है और देश को गर्व से भर दिया है।
2022 बीजिंग विंटर गेम्स में नॉर्वे का प्रदर्शन
हाल ही में संपन्न हुए 2022 बीजिंग विंटर गेम्स में, नॉर्वे ने कुल 37 पदक जीते, जिसमें से 16 स्वर्ण पदक थे। नॉर्वे का यह प्रदर्शन दर्शाता है कि विंटर गेम्स में भी छोटे देशों का बड़ा योगदान हो सकता है। नॉर्वे के खिलाड़ियों ने साबित किया है कि उनकी तयारी और धैर्य किसी से कम नहीं है।
2020 टोक्यो समर गेम्स में यूएसए का जलवा
2020 के टोक्यो समर गेम्स में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 113 पदक जीते, जिसमें 39 स्वर्ण पदक शामिल थे। इस शानदार प्रदर्शन के बल पर यूएसए ने एक बार फिर से दिखा दिया कि वह ओलंपिक खेलों का सजीव इतिहास है।
माइकल फेल्प्स: एक महान धावक
माइकल फेल्प्स, जिनके पास 23 स्वर्ण पदक हैं, ने ओलंपिक खेलों में अपना नाम अमर कर दिया है। उन्होंने पांच खेलों में निरंतर बढ़िया प्रदर्शन किया है। 2008 बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने 8 स्वर्ण पदक जीतकर एक अनोखा रिकॉर्ड कायम किया था, जिसे आजतक कोई नहीं तोड़ सका।
पेरिस 2024: भविष्य की संभावना
आगामी पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में भी संयुक्त राज्य अमेरिका का दबदबा बने रहने की संभावना है। अनुमान है कि यूएसए 123 पदकों के साथ शीर्ष पर रहेगा, जबकि चीन और ब्रिटेन क्रमशः 87 और 62 पदकों के साथ अगले स्थानों पर रहेंगे। पेरिस 2024 खेलों का आयोजन 26 जुलाई से 11 अगस्त तक होगा और पैरालंपिक खेलों का आयोजन 28 अगस्त से 8 सितंबर तक होगा।
अन्य प्रमुख देश
यूएसए के बाद, सोवियत संघ ने कुल 1,204 पदक जीते हैं और यह दूसरे स्थान पर है। वहीं, जर्मनी ने 1,058 पदक जीते हैं और तीसरे स्थान पर है। इन देशों का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है और उनके खिलाड़ियों ने भी अद्वितीय प्रदर्शन किया है।
खेल की महत्ता
ओलंपिक खेल केवल पदकों की संख्या से अधिक होते हैं। यह एक ऐसा मंच है जो खिलाड़ियों को अपनी क्षमताओं को साबित करने का अवसर देता है। यह खेल मानवीय धैर्य, मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।
इस तरह, ओलंपिक खेल हमेशा से खिलाड़ियों और देशों के लिए गौरव का कारण रहे हैं और यही कारण है कि इनका महत्त्व कभी कम नहीं होता। आने वाले पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में हमें और भी कई नए रिकॉर्ड्स, खिलाड़ियों की शानदार प्रदर्शन और देशों का उम्दा प्रदर्शन देखने को मिलेगा।
Shantanu Garg
जुलाई 26 2024यूएसए का दबदबा असली है पर इतना भी नहीं कि हम भारत को भूल जाएं। हमारे खिलाड़ी भी अपनी राह बना रहे हैं।
Vikrant Pande
जुलाई 26 2024अरे भाई यूएसए के 2975 पदक? ये सब तो बस उनके पैसे का नतीजा है। जिन देशों के पास लाखों करोड़ खर्च करने की ताकत है, वो तो हर चीज में आगे रहते हैं। नॉर्वे जैसे छोटे देश असली खेल को दिखाते हैं।
Indranil Guha
जुलाई 28 2024यह लेख बिल्कुल भी अंधेरे में बात कर रहा है। भारत जैसे देश को ओलंपिक में अपनी जगह बनानी चाहिए, लेकिन यूएसए के खिलाफ नहीं। हमारे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने के लिए सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
srilatha teli
जुलाई 28 2024ओलंपिक सिर्फ पदकों का मुद्दा नहीं है, ये तो इंसान की लगन, मेहनत और असंभव को संभव बनाने की कहानी है। माइकल फेल्प्स ने जो किया, वो एक भावना का प्रतीक है। हमें भी अपने खिलाड़ियों को ऐसा माहौल देना चाहिए जहां वो डर के बिना खेल सकें।
Sohini Dalal
जुलाई 28 2024अच्छा तो यूएसए ने 113 पदक जीते? तो फिर भारत ने 113 रुपये कमाए? हंसी आ गई।
Suraj Dev singh
जुलाई 29 2024सच कहूं तो ये सब बहुत अच्छा लगा। ओलंपिक में भाग लेना ही जीत है। हमें अपने खिलाड़ियों को सलाम करना चाहिए, चाहे उन्होंने पदक जीता हो या नहीं।
Arun Kumar
जुलाई 29 2024भाई ये लेख पढ़कर मेरा दिल दहल गया। यूएसए के खिलाड़ी तो बिना सांस लिए दौड़ रहे हैं, जबकि हमारे खिलाड़ी अभी तक बस ट्रेनिंग सेंटर का रास्ता ढूंढ रहे हैं। ये नहीं हो सकता भाई, ये नहीं हो सकता।
Manu Tapora
जुलाई 30 20242020 टोक्यो में यूएसए के 113 पदक में से 39 स्वर्ण थे, लेकिन ये आंकड़े ओलंपिक इतिहास के कुल आंकड़ों के साथ कैसे तुलना कर रहे हैं? जब तक सोवियत संघ के पदक अलग नहीं हो जाते, तब तक ये तुलना गलत है।
venkatesh nagarajan
अगस्त 1 2024पदकों की गिनती से बड़ी बात ये है कि खेल कैसे इंसान को बदल देता है। क्या ये सब वास्तविकता है या बस एक बड़ा नाटक? क्या हम खेल को याद कर रहे हैं या उसके प्रतीकों को?
Drishti Sikdar
अगस्त 1 2024ओलंपिक में भारत की भूमिका नजर नहीं आती? तो फिर इस लेख में भारत का क्या रोल है? क्या हम सिर्फ दर्शक हैं?