पैरालिंपिक्स में सरिता कुमारी का सफर समाप्त
भारतीय महिला तीरंदाज सरिता कुमारी का पैरालिंपिक्स में सफर उस समय समाप्त हो गया, जब उन्होंने क्वार्टरफाइनल में तुर्की की विश्व चैंपियन ओज्नूर कुरे गिरडी से हार का सामना किया। सरिता की इस हार ने भारतीय प्रशंसकों में निराशा का माहौल पैदा कर दिया।
क्वार्टरफाइनल का मुश्किल मुकाबला
इस मुकाबले में सरिता ने पहले दो सेटों में काफी संघर्ष किया। पहला सेट उन्होंने 26-28 से और दूसरा सेट 27-30 से गवां दिया। सरिता इस दौरान अपने मनोबल और तालमेल को बरकरार नहीं रख सकीं, जिससे उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ। तीसरे सेट में उन्होंने बेमिसाल प्रदर्शन दिखाया और पहला बुल्सआई मारा, जिससे वे 30-28 से सेट जीतने में सफल रहीं। लेकिन शुरुआती झटकों की भरपाई करना उनके लिए कठिन साबित हुआ।
अंतिम सेट में समान अंक, लेकिन परिणाम अलग
चौथे सेट में दोनों खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन के साथ मैदान में उतरीं और तीन-तीन बुल्सआई मारे, जिससे सेट 30-30 से बराबरी पर समाप्त हुआ। इस सेट को देखने वाले दर्शकों ने रोमांचक मुकाबला देखा, लेकिन फिर भी ओज्नूर कुरे गिरडी ने अपनी पकड़ बनाए रखी और मैच 145-140 से जीत लिया।
एक और भारतीय तीरंदाज के लिए मुश्किल दिन
इसी दिन भारतीय पैरालिंपिक्स में दूसरी तीरंदाज शीटल देवी को भी कठोर पराजय का सामना करना पड़ा। शीटल देवी ने तुर्की की मरियाना ज़ुनीगा के खिलाफ रोमांचक मैच में मात्र एक अंक के अंतर से हार माना। इस मुकाबले का स्कोर 138-137 रहा। शीटल की हार और सरिता की पराजय ने इस दिन भारत के लिए एक कठिन दिन बना दिया।
भारतीय खेल के लिए सीख और प्रेरणा
सरिता कुमारी और शीटल देवी की इस हार ने भारतीय तीरंदाजों के लिए कई महत्वपूर्ण सीखें छोड़ी हैं। यह परिणाम न केवल खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है, बल्कि भविष्य की तैयारी और रणनीति के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। खेलों में हार और जीत, दोनों ही खिलाड़ियों के अनुभव को समृद्ध करती हैं और उनके खेल कौशल को और मजबूत बनाती हैं।
इन पराजयों ने भारतीय खेल जगत को यह सिखाया है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहना कितना महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह हार एक निराशाजनक स्थिति को दर्शाती है, लेकिन इससे सीख लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।