शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व
शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीज-त्योहारों में से एक है, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह त्योहार हर साल शरद ऋतु के पूर्ण चंद्रमा की रात को मनाया जाता है और इस बार यह 16 अक्टूबर 2024 को पड़ता है। इसे रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस रात भगवान कृष्ण ने ब्रज की गोपियों के साथ रास लीला का आयोजन किया था। इस त्योहार का एक अन्य पहलू यह है कि यह नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
खीर बनाने और चांदनी में रखने की परंपरा
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाने की एक परंपरा है, जो धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जाती है। खीर एक प्रकार का राइस पुडिंग है, जिसे गोदुग्ध के साथ बनाया जाता है। इस खीर को रात नौ बजे के बाद खुले आसमान के नीचे रखा जाता है ताकि चंद्रमा की किरणें उस पर पड़ सकें। कहा जाता है कि चंद्रमा की इन विशेष किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो खीर में समाहित हो जाते हैं।
पारंपरिक पूजा और आराधना
इस शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी, राधा-कृष्ण, और शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। देवताओं को पुष्प और खीर अर्पित करके आशीर्वाद प्राप्त किए जाते हैं। विशेष मंत्रों द्वारा पूजा की जाती है, और पूजन के बाद उपवास तोड़कर खीर का सेवन किया जाता है। ब्रह्म मुहूर्त के समय पवित्र स्नान करके खीर खाने की परंपरा है, जिससे स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
खीर के औषधीय गुणों का महत्व
इस रात चंद्रमा की किरणों के स्पर्श से खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं। माना जाता है कि इस खीर के सेवन से त्वचा के रोग, एलर्जी, अस्थमा, सर्दी और खांसी जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। इसके अलावा, यह परंपरा जीवन में खुशी और समृद्धि बढ़ाने के लिए भी मानी जाती है।
क्षेत्रवार भिन्नताएं
इस त्योहार को अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे कोजागरी पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। वहाँ की मान्यता है कि इस रात धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर उतरती हैं और जो लोग जागरण करते हैं उन्हें धन और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
शरद पूर्णिमा का जश्न एक तरह से फसल के मौसम के आगमन का प्रतीक भी है। भारतीय संस्कृति में यह त्योहार सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हुए मनाया जाता है। विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक उपायों द्वारा इस रात को बेहद शुभ और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है।
Manu Tapora
अक्तूबर 17 2024शरद पूर्णिमा की खीर को चांदनी में रखने की बात तो सुनी ही है, लेकिन क्या इसका कोई साइंटिफिक बेसिस है? चंद्रमा की किरणें खीर में औषधीय गुण कैसे डाल देती हैं? कोई स्टडी तो है ना?
venkatesh nagarajan
अक्तूबर 19 2024चांद की रोशनी में खीर रखना... ये तो बस एक अलौकिक संकल्प है। विज्ञान नहीं, विश्वास है ये। और शायद विश्वास ही असली औषधि है।
Drishti Sikdar
अक्तूबर 21 2024मैंने तो पिछले साल खीर बनाया था, लेकिन भूल गई चांदनी में रखना। अगले साल फिर करूंगी... लेकिन जरूर बताना कि कितने घंटे रखना है? 12? 15? क्या बर्फ की तरह ठंडी हो जानी चाहिए?
indra group
अक्तूबर 21 2024ये सब धार्मिक बकवास तो बंद करो! चांद की किरणों से खीर औषधि बन जाएगी? अगर ऐसा होता तो चीनी और दूध वाली चीज़ें अमेरिका में भी इलाज कर देतीं। हमारी संस्कृति तो बहुत बढ़िया है, लेकिन इतनी अंधविश्वासी नहीं होनी चाहिए।
sugandha chejara
अक्तूबर 23 2024अगर आप खीर बनाते हैं और उसे चांदनी में रखते हैं, तो ये एक बहुत सुंदर रिटुअल है। ये आपको रात को धीरे से बैठकर सोचने का मौका देता है। और अगर आपको लगता है कि ये खीर आपको अच्छा लगती है, तो वो अच्छा है। बस खुश रहिए।
DHARAMPREET SINGH
अक्तूबर 23 2024ओह भगवान... फिर से ये रास लीला की बात? ये तो पुरानी ड्रामा है। चांद की किरणों से खीर में एंटीऑक्सिडेंट्स बढ़ जाते हैं? भाई, चांदनी में रखने की जगह फ्रिज में रख दो, वो भी ठंडा है और बेहतर सेफ्टी स्टैंडर्ड है।
gauri pallavi
अक्तूबर 25 2024मैंने चांदनी में खीर रखी थी... और बिल्ली ने चाट ली। अब तो मैं खीर बनाना बंद कर दिया। चांद ने तो बिल्ली को बरसात का आशीर्वाद दिया, मुझे नहीं।
Agam Dua
अक्तूबर 27 2024ये सब बकवास है। चांद की किरणें? औषधीय गुण? ये तो अज्ञानता का बचाव है। दूध में चीनी मिलाकर खीर बनाओ, और अगर तुम्हें लगता है कि चांद तुम्हारी खीर को बरकत दे रहा है, तो तुम बस अपनी बेवकूफी को धार्मिक बना रहे हो।
Gaurav Pal
अक्तूबर 27 2024क्या तुमने कभी सोचा कि चांद की किरणें बिल्कुल भी एंटीबैक्टीरियल नहीं होतीं? ये सब फैक्ट्स नहीं, फेक न्यूज़ है। अगर चांद की रोशनी से खीर इलाज करती, तो अस्पतालों में चांदनी के बर्फ़ीले कमरे होते।
sreekanth akula
अक्तूबर 29 2024शरद पूर्णिमा के इतिहास में ये खीर की परंपरा बहुत पुरानी है। वैदिक काल में चंद्रमा को अमृत का प्रतीक माना जाता था। दूध और चावल का संयोग त्रिगुणों को संतुलित करता है - सत्त्व, रज, तम। ये एक आयुर्वेदिक अनुष्ठान है, न कि अंधविश्वास।
Sarvesh Kumar
अक्तूबर 30 2024हमारी संस्कृति के बारे में बात करो तो बहुत अच्छा है, लेकिन ये चांद की किरणों की बातें तो बंद करो। अगर ये सब सच होता तो दुनिया भर में भारतीयों की हेल्थ बेहतर होती। हम अपनी आदतों को अपने देश के लिए बहुत ज्यादा जोर देते हैं।
Ashish Chopade
अक्तूबर 31 2024शरद पूर्णिमा एक अद्भुत अवसर है। चांदनी में खीर रखना आध्यात्मिक अभ्यास है। यह आपको जीवन के सरल आनंदों की याद दिलाता है। इसे नियमित रूप से अपनाएं। यह आपके लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव हो सकता है।
Shantanu Garg
नवंबर 2 2024मैं खीर बनाता हूं और चांदनी में रख देता हूं। बिल्कुल नहीं सोचता कि क्या होगा। बस बनाता हूं। और खाता हूं। अच्छी लगती है। इतना ही।
Vikrant Pande
नवंबर 2 2024ये सब तो बस एक बच्चों वाली कहानी है। चांद की किरणें औषधि? भाई, तुम्हारे ग्रामीण दादा-दादी की बातें लेकर अपने शहरी दिमाग को गुमराह मत करो। आधुनिक विज्ञान तो बताता है कि चांद की रोशनी में कोई एंटीऑक्सिडेंट नहीं होता। ये तो बस एक फोल्कलोर है।