विश्व हृदय दिवस 2024: खुशियों से जुड़ी हृदय की सेहत
हृदय रोग आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या बन चुकी है। लोग अक्सर हृदय रोगों के लिए जीवनशैली और आहार को दोषी ठहराते हैं, लेकिन विश्व हृदय दिवस 2024 पर विशेषज्ञों ने एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। इस साल का मुख्य संदेश है कि खुशियाँ और मानसिक संतुलन हृदय को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हृदय-स्वास्थ्य और खुशियों का सीधा संबंध
शोध के अनुसार, खुश रहने वाले लोगों में हृदय रोग की संभावना काफी कम होती है। ऐसे लोग तनाव और चिंता से दूर रहते हैं, जो कि उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बनते हैं। खुश रहना न केवल मानसिक सेहत के लिए अच्छा है बल्कि शारीरिक सेहत को भी मजबूती देता है।
तनाव और हृदय रोग
तनाव और चिंता हृदय रोगों के प्रमुख कारणों में से एक माने जाते हैं। जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारे शरीर में कई नेगेटिव हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो कि हृदय पर बुरा प्रभाव डालते हैं। ये हार्मोन रक्तचाप बढ़ाते हैं और हृदय की धड़कन को अनियमित करते हैं। लंबे समय तक तनाव में रहने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
खुशियों का महत्व
जिन लोगों का मानसिक दृष्टिकोण सकारात्मक होता है, वे हृदय रोग से कम प्रभावित होते हैं। खुश रहने के प्रयास में हमारे शरीर में ऐसे हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो कि रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सही रखते हैं और हृदय की सामान्य कार्यप्रणाली को बनाए रखते हैं।
सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना
एक अच्छी और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली के साथ-साथ, हमें हमारे मानसिक संतुलन पर भी ध्यान देना चाहिए। रोजाना कुछ समय निकालकर खुद को खुश रखने का प्रयास करें। योग और ध्यान करना, हंसना, अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना और अपने रुचियों को पूरा करना इसके कुछ तरीके हो सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य का महत्त्व
अक्सर लोग अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यह जानना आवश्यक है कि मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों आपस में जुड़े हुए हैं और एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। यदि हमारा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा है तो उससे हमारी शारीरिक सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।
तनाव प्रबंधन
तनाव को नियंत्रित करने के लिए अनेक विधियाँ हैं। नियमित रूप से योग और ध्यान करना तनाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अपनी दिनचर्या में समय-समय पर विराम लेना, किसी पसंदीदा शौक में शामिल होना, और पर्याप्त नींद लेना भी तनाव से निपटने के बेहतरीन तरीके हो सकते हैं।
अध्ययन और शोध
विभिन्न अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि खुश रहना हृदय की सेहत के लिए लाभप्रद है। उदाहरण के लिए, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, वे लोग जिन्होंने अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया और खुश रहने के प्रयास किए, उनमें हृदय रोग की संभावना 25% तक कम हो गई।
अपनों का साथ
परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, बातचीत करना, हंसना और उनकी कंपनी का आनंद लेना भी मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। सामाजिक संबंधों का महत्व हृदय की सेहत को बनाए रखने में अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
निष्कर्ष
हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमें न केवल अपने आहार और शारीरिक क्रियाकलापों पर ध्यान देना चाहिए बल्कि अपनी मानसिक संतुलन और खुशी पर भी ध्यान देना चाहिए। खुश रहना, तनाव को कम करना और मानसिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण मानना हमारे दिल को स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
sugandha chejara
सितंबर 30 2024खुश रहना ही सबसे बड़ा दवा है, ये बात सच है। मैं अपनी माँ को रोज सुबह चाय के साथ हंसते हुए देखता हूँ, उनका दिल अभी तक बिल्कुल ठीक है। डॉक्टर भी कहते हैं, तनाव नहीं, मुस्कान ही सबसे अच्छा इलाज है।
indra group
सितंबर 30 2024अरे भाई, ये सब बकवास है! हमारे गाँव में तो लोग भूखे-प्यासे रहते हैं, फिर भी दिल ठीक रहता है। खुशी की बातें करने से पहले खाने-पीने की व्यवस्था करो। हमारी संस्कृति में तो दिल की बीमारी का इलाज आयुर्वेद में है, न कि फोटो शूटिंग और मेडिटेशन में।
DHARAMPREET SINGH
अक्तूबर 2 2024ओहो, तो अब हृदय रोग का कारण तनाव है? यानी जो लोग 14 घंटे काम करते हैं, उनका दिल बीमार होना चाहिए? ये बिल्कुल वेस्टर्न थिंकिंग है। वैसे भी, योग और ध्यान के बारे में बात करना तो बहुत ट्रेंडी हो गया है। पर असली इलाज तो नींद है, जिसे कोई नहीं देता।
gauri pallavi
अक्तूबर 2 2024मैं रोज एक घंटा बिना फोन के बैठकर आकाश को देखती हूँ। कोई नहीं जानता, पर मेरा दिल इसी से जी रहा है। खुशी तो बड़े कामों में नहीं, छोटे शांत पलों में छिपी होती है।
Agam Dua
अक्तूबर 3 2024खुशी दिल को ठीक करती है? ये कौन सा नया अध्ययन है? जब तक तुम अपने डाइट में तेल नहीं काटोगे, जब तक तुम रात को 2 बजे तक फोन नहीं चलाओगे, तब तक खुशी से कुछ नहीं होगा। तुम्हारा दिल बीमार है क्योंकि तुम लापरवाह हो, न कि क्योंकि तुम खुश नहीं हो।
Gaurav Pal
अक्तूबर 4 2024हार्वर्ड का शोध? ये सब अमेरिकी बातें हैं। हमारे गाँव में तो बुजुर्ग बिना किसी मेडिटेशन के 90 साल तक जीते हैं। उनकी खुशी का स्रोत? बच्चों का रोना, बेटी की शादी, और एक गरम रोटी। ये विज्ञान नहीं, जीवन है।
sreekanth akula
अक्तूबर 5 2024हमारे पुराने ग्रंथों में भी कहा गया है - ‘मनः सुखं हृदयस्य चिकित्सा’। खुशी ही दिल की दवा है। ये आधुनिक विज्ञान बस पुराने ज्ञान को फिर से खोज रहा है। हमारे गुरु तो यही बताते थे - जब तक मन शांत नहीं, तब तक शरीर नहीं स्वस्थ।
Sarvesh Kumar
अक्तूबर 6 2024अब तो हर चीज़ का जवाब खुशी में ढूंढ लिया जाता है। जब देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद है, बेरोजगारी है, तो खुश रहने का नाम लेना शर्म की बात है। ये लोग अपनी असफलता को दवा के नाम पर छिपाते हैं।
sugandha chejara
अक्तूबर 6 2024अगर खुशी का रास्ता नहीं है, तो दवा का रास्ता भी नहीं है। जिन लोगों के पास खाने के लिए भी नहीं है, वे भी खुश रहते हैं - अपने परिवार के साथ। ये बात सिर्फ धनवानों के लिए नहीं, हर भारतीय के लिए है।
Ashish Chopade
अक्तूबर 7 2024खुशी नहीं, अनुशासन है जरूरी। नियमित व्यायाम, नियमित नींद, नियमित आहार। ये तीनों चीज़ें हैं जो दिल को बचाती हैं। खुशी तो बोनस है, न कि आवश्यकता।