महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप: अनिल देशमुख पर जानलेवा हमला
महाराष्ट्र की राजनीति में एक गंभीर मोड़ आया जब एनसीपी (शरद पवार) नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की कार पर हमला हुआ। यह घटना सोमवार शाम को नागपुर जिले के जलालखेड़ा रोड पर उस समय घटित हुई जब अनिल देशमुख नारखेड़ गांव में एक बैठक से लौट रहे थे। अनिल देशमुख के साथ हुए इस हमले ने राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया है। इस हमले के पीछे कुछ अज्ञात व्यक्तियों का हाथ है जिन्होंने उनकी कार पर पत्थर फेंके और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। घटना के तुरंत बाद उन्हें कटोल के सिविल अस्पताल ले जाया गया और बाद में नागपुर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज हो रहा है।
पहचान से दूर आरोपी
पुलिस के अनुसार इस मामले में चार अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। नागपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक हर्ष पोद्दार ने बताया कि पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और घटना स्थल पर एक फॉरेंसिक टीम भेजी गई है। मामले की जांच कटोल के उप पुलिस अधीक्षक कर रहे हैं, और जिले के कलेक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी घटना स्थल का दौरा किया है। हर्ष पोद्दार ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और पुलिस को उचित कार्यवाही करने दें।
राजनीतिक उथल-पुथल
इस घटना को लेकर एनसीपी (शरद पवार) पार्टी में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। पार्टी के प्रवक्ता वेदप्रकाश आर्य ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हार के डर से इस तरह की घटिया हरकतों पर उतर आए हैं। अनिल देशमुख के बेटे सलील देशमुख वर्तमान में कटोल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से एनसीपी (शरद पवार) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना से अन्य राजनीतिक दलों में भी गुस्सा है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने घटना की निंदा की और जवाबदेही की मांग की। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था की गिरावट का प्रतीक कहा। इस घटना के बाद से राजनीतिक दलों में एकजुट होकर उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठी है।
चुनाव के ठीक पहले की घटना
यह हमला महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के ठीक पहले हुआ है। चुनाव प्रचार का यह अंतिम दिन था, और ऐसी स्थिति में इस घटना ने माहौल को और गर्मा दिया है। एनसीपी (शरद पवार) ने इस घटना के पीछे राजनीतिक कारणों की आशंका जताई है और इस संबंध में पूरी जांच की मांग की है। इस हादसे का असर ना केवल राजनीतिक दलों बल्कि जनता में भी देखा जा रहा है। लोग इस घटना को लेकर गहन चिंता में हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाएगा।
Sohini Dalal
नवंबर 21 2024ये सब राजनीति का खेल है, असली मुद्दा तो ये है कि किसका बेटा किस विधानसभा में जीतेगा। हमला हुआ? ठीक है। पर अगर ये देशमुख के विरोधी ने किया होता तो आज तक ट्रेंड नहीं होता।
Suraj Dev singh
नवंबर 21 2024मैं तो सोच रहा था कि इतनी बड़ी घटना के बाद पुलिस कैसे इतनी शांत रह सकती है। फॉरेंसिक टीम भेजी गई, लेकिन अभी तक कोई फुटेज या गवाह नहीं मिला। ये जांच बस फॉर्मलिटी है।
Arun Kumar
नवंबर 21 2024अरे भाई, ये तो बॉलीवुड से निकला हुआ सीन है! कार पर पत्थर फेंकना, घायल होना, अस्पताल में भर्ती, राजनीतिक दल एक दूसरे को गाली देना... अगला एपिसोड में शरद पवार खुद नागपुर जाएंगे और एक बातचीत के बाद सब कुछ सुलझ जाएगा। बस एक गाना लग जाए तो पूरा देश रो जाएगा।
Manu Tapora
नवंबर 22 2024हमले के बाद जिला कलेक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे - ये तो अच्छी बात है। लेकिन अगर ये सब एक आम नागरिक के साथ होता, तो क्या इतना ध्यान दिया जाता? राजनीतिक व्यक्तित्वों के साथ होने वाली हिंसा को ही बड़ा मामला बनाया जाता है।
venkatesh nagarajan
नवंबर 23 2024हिंसा का आधार भावनात्मक असुरक्षा है। जब लोग अपनी पहचान को खोने के डर से जीते हैं, तो वे दूसरों को नीचा दिखाकर अपनी ऊंचाई का आभास पाने की कोशिश करते हैं। अनिल देशमुख का मामला इसी का एक उदाहरण है - एक व्यक्ति की शरीरिक अखंडता के बजाय, उसकी राजनीतिक अखंडता पर हमला हुआ है।
Drishti Sikdar
नवंबर 24 2024मैंने तो ये देखा कि अनिल देशमुख के बेटे का चुनाव चल रहा है - शायद ये हमला उनके चुनाव के लिए एक ट्रिक है। लोगों को भावनाओं से जोड़ने के लिए कुछ ऐसा चाहिए जो दिल छू जाए।
indra group
नवंबर 24 2024अरे ये तो बस देश के खिलाफ षड्यंत्र है! जो लोग भारत को तोड़ना चाहते हैं, वो राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाते हैं। अगर ये लोग वास्तव में भारत के लिए लड़ते, तो वो अपने घरों में बैठकर नहीं, बल्कि सीमा पर लड़ते! ये सब लोग देशद्रोही हैं।
DHARAMPREET SINGH
नवंबर 26 2024ये घटना एक classic 'political theater' है। जब चुनाव के दिन आते हैं, तो राजनीतिक दल अपने लोगों को शहीद बना देते हैं - फिर उनके नाम पर मार्च करते हैं, फिर टीवी पर रोते हैं, फिर वो लोग चुनाव जीत जाते हैं। ये सब एक बिजनेस मॉडल है।
gauri pallavi
नवंबर 26 2024क्या आपने कभी सोचा है कि अगर ये हमला किसी गाँव के किसान पर होता, तो क्या इतना ध्यान दिया जाता? हम तो बस उन्हें चुनाव के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। बस एक बार अपने आप को देख लो।
Agam Dua
नवंबर 26 2024लोग बस इसलिए घबरा रहे हैं क्योंकि वो जानते हैं - ये अगला नहीं, बल्कि पहला हमला है। अगला बार कोई बस स्टॉप पर जाएगा, फिर एक स्कूल बस में, फिर कोई राजनीतिक जुलूस। ये राजनीति नहीं, ये युद्ध है।
Gaurav Pal
नवंबर 27 2024ये घटना तो बिल्कुल जानलेवा नहीं, बल्कि जानबूझकर बनाई गई है - एक बहुत ही स्मार्ट नेटवर्किंग ट्रिक। लोगों को डर दिखाकर उन्हें अपनी ओर खींचना। जो लोग ये समझ गए, वो अभी तक चुप हैं।
sreekanth akula
नवंबर 29 2024भारत में राजनीति और जीवन का संबंध बहुत गहरा है। यहाँ एक व्यक्ति का शरीर उसकी राजनीतिक पहचान का प्रतीक हो जाता है। ये हमला अनिल देशमुख के शरीर पर नहीं, उनके राजनीतिक अस्तित्व पर हुआ है। ये एक सांस्कृतिक घटना है।
Sarvesh Kumar
दिसंबर 1 2024हमला हुआ तो क्या? ये तो अभी तक बहुत हल्का है। अगर असली राजनीति चल रही होती, तो ये लोग बाहर खड़े होते और घरों को जला देते। ये बस एक ट्रेनिंग राउंड है।
Ashish Chopade
दिसंबर 1 2024हिंसा कभी भी स्वीकार्य नहीं।
राजनीति में बातचीत होनी चाहिए।
दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
न्याय की गारंटी दी जानी चाहिए।
यह अपराध राष्ट्र के लिए चुनौती है।
Shantanu Garg
दिसंबर 3 2024मैं तो सिर्फ ये कहना चाहता हूँ कि अगर ये हमला सच में राजनीतिक था, तो पुलिस ने तो बहुत धीरे-धीरे जांच शुरू की। लोग डर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया।
Vikrant Pande
दिसंबर 5 2024ये सब तो बहुत पुरानी चाल है। जब लोग बातचीत करने से घबरा जाते हैं, तो वो हिंसा का इस्तेमाल करते हैं। ये नहीं कि देशमुख के खिलाफ कोई नफरत है - बल्कि ये कि उनकी बातों का जवाब देने का साहस नहीं।
Indranil Guha
दिसंबर 7 2024ये हमला भारत की सार्वभौमिकता के खिलाफ एक आक्रमण है। जो लोग इस तरह की हिंसा करते हैं, वो देश के खिलाफ शत्रु हैं। इन्हें देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अगर ये राजनीति है, तो ये राजनीति का अपराध है।
srilatha teli
दिसंबर 8 2024इस घटना के बाद भी अगर हम एक दूसरे को गाली देना बंद कर दें, और बस एक बार एक-दूसरे की बात सुन लें - तो शायद ये हिंसा बंद हो जाए। हम सब यहाँ एक ही देश में रहते हैं। ये बस एक अलग विचार का अंतर है - न कि एक जाति, न कि एक धर्म।
sugandha chejara
दिसंबर 9 2024अगर आप लोग अपने दिल से बात करें, तो आप जान जाएंगे कि ये हमला अनिल देशमुख के खिलाफ नहीं, बल्कि इस देश के भविष्य के खिलाफ है। हमें अपने बच्चों के लिए एक ऐसा देश बनाना है, जहाँ बातचीत का रास्ता हो - न कि पत्थरों का।
Sohini Dalal
दिसंबर 10 2024अरे ये तो बस एक चुनावी ट्रिक है - अगर ये हमला नहीं हुआ होता, तो अनिल देशमुख का बेटा अभी तक किसी को याद नहीं कर रहा होता।