कुलविंदर कौर: एक साहसिक CISF कांस्टेबल
चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर एक विवादित घटना में कुलविंदर कौर नामक CISF कांस्टेबल ने अभिनेता और राजनेता कंगना रनौत को थप्पड़ मार दिया। 35 वर्षीय कौर ने यह कदम तब उठाया जब कंगना ने सार्वजनिक रूप से महिलाओं पर दिल्ली में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान ₹100 लेकर प्रदर्शन करने का आरोप लगाया। यह बयान पंजाब और हरियाणा में खासा विवाद का कारण बना था।
कौन हैं कुलविंदर कौर?
कुलविंदर कौर पंजाब के सुल्तानपुर लोधी की निवासी हैं और उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। कौर ने 2009 में CISF में जॉइनिंग की और 2021 से चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर तैनात हैं। उनके पति भी CISF में कार्यरत हैं, जो इस घटना को और भी संवेदनशील बनाता है। उनके बड़े भाई, शेर सिंह, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता हैं। किसान आंदोलन के दौरान उनकी मां भी विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं।
कौर ने बताया कि उनके परिवार के कई सदस्य आंदोलन में शामिल थे और कंगना के बयान से वे बहुत आहत हुई थीं। इस घटना के बाद CISF ने कौर को निलंबित कर दिया है और मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं।
कंगना रनौत का विवादित बयान
कंगना रनौत ने हाल ही में एक बयान दिया था कि दिल्ली में जो महिलाएं किसान विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं, उन्हें केवल ₹100 देकर बुलाया जाता था। इस बयान ने किसानों और उनके समर्थकों में भारी आक्रोश पैदा किया। किसानों की प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को लेकर दिए गए इस बयान को कई लोग अपमानजनक मानते हैं।
कंगना अपने बयानों और ट्वीट्स के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने पहले भी कई विवादास्पद टिप्पणियां की हैं। किसानों के प्रदर्शन के दौरान कंगना ने कई ऐसे बयान दिए जो विवाद का कारण बने।
CISF का रुख और कार्रवाई
इस घटना के बाद CISF ने कुलविंदर कौर को तुरंत निलंबित कर दिया और एक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया। CISF के अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा बलों के सदस्य का इस तरह का व्यवहार किसी भी सूरत में मंजूर नहीं किया जा सकता।
वहीं महिलाओं के राष्ट्रीय आयोग (NCW) की प्रमुख, रेखा शर्मा, ने इस मामले पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसी भी सुरक्षा बल के सदस्य को अपनी व्यक्तिगत भावनाओं को इस तरह व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मीडिया और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। कई लोग हैं जो कुलविंदर कौर के साहस की तारीफ कर रहे हैं, जबकि कई लोग इसे उनकी ओर से भावनात्मक और असंवेदनशील कदम मान रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस घटना पर विभाजित व्यूज देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग कंगना रनौत की आलोचना कर रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग CISF कांस्टेबल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से किसान आंदोलन के मुद्दे को मुख्य धारा में ला दिया है। यह विषय अभी भी देश के हर कोने में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है।
क्या आगे है?
सीआईएसएफ की जांच रिपोर्ट और उसमें शामिल सिफारिशों के बाद ही कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, कंगना रनौत और कुलविंदर कौर दोनों ही मीडिया द्वारा फॉलोअप किए जा रहे हैं, और हर अपडेट पर निगाह रखी जा रही है।
आखिरकार, यह मामला केवल एक हवाई अड्डे की घटना नहीं है, बल्कि यह एक प्रतीक है। यह दिखाता है कि कैसे व्यक्तिगत भावनाएं और राजनीतिक मुद्दे सुरक्षा बलों पर असर डाल सकते हैं और किस तरह वे पेशेवर व व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं।
Drishti Sikdar
जून 7 2024ये लड़की तो बस अपने परिवार के लिए खड़ी हो गई। कंगना ने जो कहा, वो सिर्फ एक बयान नहीं, एक धक्का था।
sugandha chejara
जून 7 2024मैंने कुलविंदर कौर के बारे में पढ़ा तो आँखें भर आईं। एक माँ, एक बहन, एक किसान की बेटी - जिसने अपनी नौकरी के बावजूद अपने दिल की आवाज़ सुनी। उसका ये थप्पड़ सिर्फ कंगना के चेहरे पर नहीं, उन सभी महिलाओं के दिलों पर गया जिन्हें उन्होंने बेवजह बताया कि वो बेकार हैं।
मैं नहीं जानती कि CISF क्या करेगा, लेकिन जो लोग उसके खिलाफ हैं, उन्हें याद रखना चाहिए - जब एक आम इंसान अपनी आज़ादी के लिए खड़ा होता है, तो वो किसी का नाम नहीं, एक जिंदगी का नाम बन जाता है।
कंगना को अगर उसके बयान का असली असर दिखाना हो तो वो खुद किसानों के साथ बैठे, उनकी बात सुने, फिर बोले। न कि ट्वीट करके दूसरों के दर्द को ट्रेंड में बदल दे।
DHARAMPREET SINGH
जून 9 2024बस थप्पड़ मार दिया? अब ये लड़की भी एक नेशनल हीरो बन गई? ये तो एक बेवकूफ़ एक्शन है, न कि ब्रेवरी। CISF के लिए ये एक बड़ा शॉक है - अब ये बताओ कि अगर कोई जनरल को थप्पड़ मार दे तो भी वो बहादुरी मानी जाएगी? ये बातें ट्रेंड में आ रही हैं क्योंकि लोगों को अपने गुस्से के लिए कोई आउटलेट चाहिए।
अगर तुम्हारा भाई किसान आंदोलन में है, तो भी तुम एक CISF कांस्टेबल हो। अपना प्रोफेशनल ड्यूटी और पर्सनल बायस अलग करो। ये बात बहुत सरल है।
gauri pallavi
जून 10 2024अरे भाई, अब तो सब बोल रहे हैं - कुलविंदर बहादुर है, कंगना बदमाश है। पर क्या कोई जानता है कि अगर ये घटना दिल्ली में होती, तो कौन ट्रेंड करता? नहीं भाई, ये सब तो पंजाब-हरियाणा के लिए एक बड़ा ब्रेकिंग न्यूज़ है।
मैं तो सिर्फ इतना कहूंगी - कंगना का बयान बेकार था, और कुलविंदर का थप्पड़ भी बेकार। दोनों का एक ही रिजल्ट: एक और ट्रेंड बन गया।
अब देखो, अगले हफ्ते कोई और बोलेगा कि ‘महिलाएं बहुत ताकतवर हैं’, और फिर कोई और कहेगा कि ‘सुरक्षा बलों को अपने भाव नहीं दिखाने चाहिए’। ये सब बातें तो बहुत अच्छी हैं... बस इनका कोई असली असर नहीं होता।
Agam Dua
जून 11 2024ये जो कुलविंदर कौर है, वो न सिर्फ एक कांस्टेबल है, बल्कि एक आत्म-विश्वास से भरी हुई लड़की है जिसने अपने भावों को अपने प्रोफेशन के ऊपर रख दिया। और अब देखो, CISF ने उसे निलंबित कर दिया। बिल्कुल सही।
लेकिन अगर तुम एक नौकरी के लिए चुने गए हो, तो तुम्हारी भावनाएं तुम्हारी नौकरी का हिस्सा नहीं होतीं। ये एक बेसिक रूल है।
कंगना के बयान को लेकर गुस्सा आ रहा है? तो उसे लेकर एक लॉयल लीग बनाओ। एक ट्वीट के खिलाफ थप्पड़ मारना? ये तो बच्चों की बात है।
और अगर तुम्हारा भाई किसान आंदोलन में है, तो तुम्हें उसके लिए लड़ना चाहिए - न कि एक एयरपोर्ट पर जाकर किसी को थप्पड़ मारकर।
ये एक अपमान है। ये एक अपराध है। और ये एक बहुत बड़ी गलती है।
अगर तुम्हारा दिल भावनाओं से भरा है, तो तुम एक नागरिक हो। अगर तुम एक सुरक्षा बल के सदस्य हो, तो तुम्हें अपने दिल को बंद करना होगा।
इसलिए जिसने ये किया, वो बहादुर नहीं है - वो बेवकूफ है।
Gaurav Pal
जून 13 2024अब तो ये बात बन गई कि कुलविंदर कौर एक नायक है। पर देखो, अगर ये घटना एक अंग्रेज़ अधिकारी ने कंगना को थप्पड़ मारा होता, तो क्या सोशल मीडिया पर ये धमाका होता? नहीं।
ये सब एक राजनीतिक ट्रेंड है। एक आम लड़की के थप्पड़ को एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदल दिया गया है।
कंगना का बयान गलत था - बिल्कुल। लेकिन थप्पड़ मारना उसका जवाब नहीं है। ये तो बस एक और विवाद बन गया।
मैं तो सोचता हूँ - अगर ये घटना चंडीगढ़ में न होती, बल्कि एक छोटे से गाँव में होती, तो क्या कोई इसे देखता? नहीं।
इसलिए ये एक शो है। एक शो जिसमें दोनों पक्ष अपने अपने नायक बना रहे हैं।
कुलविंदर कौर को निलंबित करना गलत नहीं है। उसका बयान देना गलत नहीं है। लेकिन इस घटना को एक लोकप्रिय संघर्ष में बदल देना... वो तो बहुत बड़ा गलत फैसला है।
हम जब भी कुछ बड़ा बनाना चाहते हैं, तो छोटे लोगों को बलि दे देते हैं। ये वो चीज़ है जिसे हमें समझना चाहिए।