राज्यसभा में सुनेत्रा पवार: नया राजनीतिक चरण
बारामती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से हार का सामना करने के बाद, सुनेत्रा पवार अब राज्यसभा में कदम रखने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में इस कदम को मतलब माना जा रहा है, खासकर उनके परिवार और पार्टियों के मध्य बदलते समीकरणों के मद्देनजर। राज्यसभा के लिए उनके नामांकन की घोषणा ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
बारामती लोकसभा चुनाव में हार
सुनेत्रा पवार, जो महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष अजीत पवार की पत्नी हैं, बारामती लोकसभा सीट से सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ रही थीं। सुप्रिया सुले, एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार की पुत्री भी हैं, और उन्होंने इस सीट पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है। 158,333 वोटों के बड़े अंतर से हुई हार ने सुनेत्रा पवार और एनसीपी को राजनीतिक मार्ग बदलने के लिए प्रेरित किया।
राज्यसभा में नामांकन
अपनी लोकसभा सीट की हार के बावजूद, एनसीपी ने सुनेत्रा पवार पर विश्वास जताते हुए उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। उनके नामांकन की तारीख भी निर्धारित की जा चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि उनके पति अजीत पवार और अन्य पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर वह अपने नामांकन की प्रक्रिया पूर्ण करेंगी।
राजनीतिक परिदृश्य
सुनेत्रा पवार के नामांकन के पीछे कई राजनीतिक कारण हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपने पुत्र और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी को राज्यसभा के लिए चुना, इस कदम को पार्टी में परिवार की पकड़ मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सुनेत्रा के बेटे, पार्थ पवार भी संभावित उम्मीदवारों में शामिल थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें प्राथमिकता नहीं दी।
अन्य संभावित उम्मीदवार
सुनेत्रा पवार के नामांकन के अलावा, इस राज्यसभा सीट के लिए अन्य कई प्रमुख नाम भी सामने आ रहे थे। इनमें राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री छगन भुजबल, कांग्रेस के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी, जो अब एनसीपी में शामिल हो चुके हैं, और शिवसेना के पूर्व लोकसभा सांसद आनंद पांरजपे शामिल थे। हालांकि, पार्टी ने सुनेत्रा पर विश्वास जताने का निर्णय किया।
चुनाव की आवश्यकता
यहां बताना जरूरी है कि यह चुनाव राज्यसभा सदस्य प्रफुल पटेल के इस्तीफे के बाद अनिवार्य हो गया है। पटेल के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर सुनेत्रा पवार के कदम को अहम माना जा रहा है। एनसीपी को इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा का समर्थन भी जरूरी होगा।
अधिकांशता की आवश्यकता
महाराष्ट्र विधान सभा में 288 सदस्यों के बीच, महायुति (एनडीए) के सहयोगियों - भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी की बहुमत है, जिससे सुनेत्रा पवार की जीत की संभावना प्रबल होती है।
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुनेत्रा पवार का राज्यसभा में प्रवेश, एनसीपी की आंतरिक राजनीति और महाराष्ट्र की राजनीतिक परिदृश्य को नई दिशा देने में सक्षम हो सकता है। उनके इस कदम से न केवल उन्हें संसद में एक नई जिम्मेदारी मिलेगा, बल्कि उनके परिवार के राजनीतिक आधार को भी मजबूती मिलेगी।
भारतीय राजनीति में इस प्रकार की चालें नई दिशा और नेतृत्व के समायोजन को दर्शाती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह कदम कैसे पार्टी और सुनेत्रा पवार के राजनीतिक करियर को प्रभावित करता है।
Suraj Dev singh
जून 16 2024राज्यसभा में जाना एक बड़ा कदम है, खासकर जब लोकसभा से हार के बाद ऐसा हो। लेकिन ये तो बस राजनीति का खेल है। अगर पार्टी का विश्वास है तो अच्छा है।
Arun Kumar
जून 17 2024अरे भाई, ये तो पवार घराने का फैमिली बिजनेस है! एक बेटी लोकसभा में, दूसरी पत्नी राज्यसभा में, बेटा अभी बाहर... अगला कौन? दादाजी फिर से आएंगे क्या? 😂
Manu Tapora
जून 19 2024राज्यसभा के लिए नामांकन की प्रक्रिया बहुत स्पष्ट नहीं है। अगर ये सीट प्रफुल पटेल के इस्तीफे के बाद खाली हुई है, तो ये नियुक्ति राज्य विधानसभा के मतों पर निर्भर करती है। एनडीए की बहुमत स्थिति के कारण सुनेत्रा की जीत लगभग निश्चित है, लेकिन क्या ये नामांकन उनकी योग्यता पर आधारित है या सिर्फ परिवार के नाम पर? ये सवाल अभी भी बाकी है।
venkatesh nagarajan
जून 19 2024राजनीति में नाम और रिश्ते कभी-कभी योग्यता से ज्यादा मायने रखते हैं। ये बस एक अलग तरह की विरासत है - जहाँ एक व्यक्ति का अधिकार उसके जन्म के आधार पर निर्धारित होता है। क्या यही हमारी लोकतंत्र की असली तस्वीर है?
Drishti Sikdar
जून 20 2024पार्थ पवार को नहीं चुना गया? ओह तो ये अब लड़की के लिए बहुत बड़ा फैसला है? क्या बेटे के लिए तो बहुत ज्यादा बोझ है? ये सब अच्छा है लेकिन क्या उनके बेटे को भी अपना रास्ता बनाने दिया जा रहा है? ये सब बहुत अजीब लग रहा है।
indra group
जून 22 2024अरे ये तो अब राजनीति का राजवंश बन गया है! बारामती के लोगों को हार गए और फिर राज्यसभा में घुस गए? ये तो लोकतंत्र का ठगी है! अगर ये चलता रहा तो अगले चुनाव में हमें राजा चुनने पड़ेंगे! भारत की आज़ादी के बाद भी ये जमींदारी का खेल चल रहा है!
sugandha chejara
जून 23 2024सुनेत्रा के लिए ये एक नया अवसर है। लोकसभा में हार ने उन्हें एक नए मंच पर ले जाया है - जहाँ वो अपनी अनुभव और बातचीत के जरिए बहुत कुछ कर सकती हैं। राज्यसभा में शामिल होकर वो न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि महाराष्ट्र के लिए भी अच्छा काम कर सकती हैं। उनके साथ अच्छा लग रहा है!
DHARAMPREET SINGH
जून 24 2024ये सब एक फॉर्मल बुराई है। लोकसभा हार के बाद राज्यसभा में घुसना? ये तो राजनीतिक एम्पायर बनाने की टेक्निक है। अजीत पवार का नेटवर्क, शरद पवार का इन्फ्लुएंस, और अब एक बहू को राज्यसभा में बैठाना - ये सब एक सुपरस्ट्रक्चर है। इसका नाम राजनीति नहीं, इंस्टीट्यूशनल कॉरपोरेटिज़म है।
gauri pallavi
जून 25 2024अरे ये तो बस एक और फैमिली ट्रैनिंग वीडियो है। एक बार लोकसभा में चले गए, फिर राज्यसभा में... अगला क्या? संसद का राजगढ़? 😏
Agam Dua
जून 26 2024ये राजनीति का अंतिम शरारती रूप है। लोकसभा में हार के बाद राज्यसभा में घुसना? ये तो नागरिकों के वोट को नजरअंदाज करने का तरीका है। जिसके पास परिवार है, उसी को राजनीति मिलती है। ये भारत का अपमान है। ये नहीं चलेगा।
Gaurav Pal
जून 27 2024ये बिल्कुल एक नए युग की शुरुआत है - जहाँ राजनीति का राजवंश बन रहा है। शरद पवार का बेटा नहीं, बेटी की पत्नी को चुना गया। ये नया ट्रेंड है। अगले चरण में क्या होगा? एक नाती को लोकसभा में बैठाना? ये तो अब बस एक नाम का खेल है।