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पेरिस ओलंपिक में निशानेबाजी में भारत की पदक उम्मीदें: रमीता जिंदल और अर्जुन बबूता

पेरिस ओलंपिक में निशानेबाजी में भारत की पदक उम्मीदें: रमीता जिंदल और अर्जुन बबूता

पेरिस ओलंपिक में भारत की निशानेबाजी की पदक उम्मीदें

पेरिस ओलंपिक के निकट आते ही भारतीय खेल प्रेमियों की नजरें निशानेबाजी में अपनी पदक उम्मीदों पर टिकी हुई हैं। और यह उम्मीदें जुड़ी हैं हरियाणा की 22 वर्षीय रमीता जिंदल और चंडीगढ़ के 25 वर्षीय अर्जुन बबूता से, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने शानदार प्रदर्शन से देश को गौरवान्वित किया है।

रमीता जिंदल की यात्रा

रमीता जिंदल की यात्रा एक शानदार उदाहरण है कि कैसे कठिन परिश्रम और समर्पण के बल पर सफलता हासिल की जा सकती है। रमीता ने मात्र 14 वर्ष की उम्र में निशानेबाजी शुरू की और जल्द ही अपनी पहचान बनाई। 2019 में जर्मनी के सुह्ल में आयोजित ISSF जूनियर वर्ल्ड कप में रमीता ने सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद 2022 में काहिरा में आयोजित ISSF जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया।

रमीता ने अपने लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के दम पर 2023 ISSF वर्ल्ड चैंपियनशिप में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में भारत को पहला क्वोटा स्थान दिलाया। यह उपलब्धि सिर्फ उनके करियर का ही नहीं, बल्कि भारतीय निशानेबाजी के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अर्जुन बबूता की कहानी

अर्जुन बबूता का भी सफर उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने 2019 में जर्मनी के सुह्ल में आयोजित ISSF जूनियर वर्ल्ड कप में सिल्वर मेडल जीता। 2021 में पोलैंड के व्रोकलॉ में ISSF प्रेसिडेंट्स कप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। अर्जुन ने अपने प्रचंड प्रदर्शन से 2023 ISSF वर्ल्ड चैंपियनशिप में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में भारत का क्वोटा स्थान सुरक्षित किया।

अर्जुन की सफलता की यात्रा रमीता की कहानी से मिलती-जुलती है। दोनों ने ही कठिन मेहनत और दृढ़ निश्चय से सफलता हासिल की है और अब वे पेरिस ओलंपिक में पदक की प्रबल उम्मीदवार हैं।

कोच दीपाली देशपांडे का योगदान

रमीता और अर्जुन की सफलता में कोच दीपाली देशपांडे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके कड़े मार्गदर्शन और रणनीतिक प्रशिक्षण ने इन युवा खिलाड़ियों को अपने खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद की है। दीपाली देशपांडे, जिन्होंने अपने करियर में खुद कई पदक जीते हैं, उनकी इस सफलता के पीछे एक अहम कारण हैं।

कोच देशपांडे का प्रशिक्षण और अनुभव इन खिलाड़ियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उनके नेतृत्व में रमीता और अर्जुन दोनों ही अंतरराष्ट्रीय मानकों पर अपने प्रदर्शन को निखार रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि वे पेरिस ओलंपिक में भी अपना शानदार प्रदर्शन बरकरार रखेंगे।

भारत की पदक उम्मीदें

पेरिस ओलंपिक की ओर बढ़ते हुए भारत की पदक उम्मीदें रमीता और अर्जुन पर निर्धारित हैं। इन दोनों ने जिस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है, उससे देश को उनसे बहुत उम्मीदें हैं। ये दोनों खिलाड़ियों ने अपनी कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय से दिखा दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं।

भारत में निशानेबाजी का ये समय एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। सरकार और खेल संस्थाओं के सहयोग से, खेल विकास के लिए बुनियादी ढांचे में किए गए सुधारों का प्रभाव अब देखने को मिल रहा है। रमीता और अर्जुन जैसे युवा खिलाड़ियों की सफ़लता इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अभी भी समय है, जब भारत निशानेबाजी में अपने प्रदर्शन को और ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। आने वाले समय में, देश इन दो होनहार खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नजर रखेगा और उनसे पेरिस ओलंपिक में पदक की उम्मीद लगाए हुए रहेगा।

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पेरिस ओलंपिक में भारत की निशानेबाजी से जुड़ी पदक उम्मीदें रमीता जिंदल और अर्जुन बबूता पर टिकी हैं। हरियाणा की रमीता और चंडीगढ़ के अर्जुन ने अपनी अद्वितीय कौशल और समर्पण से विश्व में अपनी पहचान बनाई है। इन दोनों ने ISSF विश्व चैंपियनशिप में अपने-अपने क्वोटा स्थान सुरक्षित किए हैं।

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