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प्रेसवू: नई आई ड्रॉप्स आपके पढ़ने के चश्मे की जगह ले सकती हैं

प्रेसवू: नई आई ड्रॉप्स आपके पढ़ने के चश्मे की जगह ले सकती हैं

प्रेसबायोपिया: एक बढ़ती समस्या

प्रेसबायोपिया, एक ऐसी स्थिति है जो उम्र के साथ निकट दृष्टि के नुकसान का कारण बनती है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में इससे प्रभावित लोगों की संख्या 1990 में 57.7 मिलियन से बढ़कर 2020 में लगभग 140 मिलियन हो गई है। वैश्विक स्तर पर, यह संख्या 1.09 बिलियन से लेकर 1.80 बिलियन के बीच में है। आई ड्रॉप्स का उपयोग करके इसका इलाज करने के लिए नया उपाय जो सामने आया है, वह है प्रेसवू जिसे एंटोड फार्मास्यूटिकल्स ने विकसित किया है।

डिजिटल युग में बढ़ती नेत्र समस्याएँ

आजकल डिजिटल युग में समय की बढ़ती मांग के कारण, स्क्रीन समय, डिजिटल आई स्ट्रेन और ब्लू लाइट एक्सपोजर ने प्रेसबायोपिया की स्थिति को और खराब कर दिया है। इस स्थिति का पारंपरिक उपचार आमतौर पर पढ़ने के चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस और सर्जिकल हस्तक्षेप के माध्यम से किया जाता है। लेकिन यह सभी विधियाँ हमेशा लंबे समय के लिए समाधान नहीं बन पातीं।

प्रेसवू: पीड़ितों के लिए नई उम्मीद

प्रेसवू: पीड़ितों के लिए नई उम्मीद

प्रेसवू एक नई और अक्षम एवं सुलभ विधि है जो लाखों लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार ला सकती है। एंटोड फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ निखिल के. मसूरकर ने बताया कि यह समाधान कैसे वर्षों की कठोर शोध और विकास का परिणाम है। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी का मिशन भारत में नेत्र देखभाल को बदलना है।

प्रेसवू के लाभ

वैज्ञानिक सलाहकार धनंजय बखले के अनुसार, प्रेसवू निकट दृष्टि में सुधार करता है बिना पढ़ने के चश्मे की आवश्यकता के। इसके साथ ही, इसका प्रभाव त्वरित और सुरक्षित है जिसे क्लिनिकल परीक्षणों में साबित कर दिया गया है। यह प्रेसबायोपिया के उपचार विकल्पों के लिए एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।

सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव

सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव

प्रेसवू के आगमन से, कई लोगों की दैनिक जीवन और उत्पादकता में सुधार हो सकता है। प्रेसबायोपिया के कारण लोग छोटे कार्यों से वंचित रह जाते हैं जैसे कि पढ़ना, लिखना, और कंप्यूटर का उपयोग करना। यह आई ड्रॉप्स समझने और व्यापक रूप से लागू करने के लिए आसानी से सुलभ और किफायती होगी, खासकर उन लोगों के लिए जो सर्जरी जैसे विकल्पों को नहीं चुन सकते। इसके अलावा, इससे समाज के बुजुर्गों की जीवन गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

निष्कर्ष

एंटोड फार्मास्यूटिकल्स का यह नवाचार एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है, बल्कि समाज में भी इसके लाभ व्यापक रूप से देखे जा सकते हैं। प्रेसवू न केवल अपने नवाचार के कारण, बल्कि इसके प्रभावी और कतारबद्ध समाधानों के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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प्रेसवू नामक नई आई ड्रॉप्स प्रेसबायोपिया का इलाज कर सकती हैं, जिससे बुजुर्गों की निकट दृष्टि में सुधार होता है। भारत में इससे प्रभावित लोगों की संख्या 1990 में 57.7 मिलियन से बढ़कर 2020 में लगभग 140 मिलियन हो गई है। यह नयी आई ड्रॉप्स सीधे नेत्रहीनता को रोकने में मदद करेगी जो लंबे समय तक डिजिटल उपकरणों के उपयोग के कारण होती है।

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