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UAE में सिंगल नेम पासपोर्ट पर प्रतिबंध: पंजाबी यात्रियों को बड़ा झटका

UAE में सिंगल नेम पासपोर्ट पर प्रतिबंध: पंजाबी यात्रियों को बड़ा झटका

नया नियम और इसका उद्देश्य

जनवरी 2025 से लागू होने वाले UAE single name passport ban ने संयुक्त अरब अमीरात के आव्रजन नियंत्रण को कड़ी कवायद पर ला दिया है। अब उन यात्रियों को प्रस्थान से पहले ही बोर्डिंग पर ही जांच का सामना करना पड़ेगा जिनके पासपोर्ट में केवल एक ही नाम लिखा है। सरकार ने इस कदम को पहचान‑सत्यापन में मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी बताया है, क्योंकि सिंगल नेम पासपोर्ट अक्सर व्यक्तिगत पहचान स्थापित करने में बाधा बनते हैं।

नियम का दायरा विशेष रूप से पर्यटन वीज़ा, विज़िट वीज़ा और वीसा ऑन अराइवल पर लागू है। वहीं, Emirates तथा Etihad जैसी प्रमुख एयरलाइन्स ने अब अपने बुकिंग और चेक‑इन सॉफ़्टवेयर को इस नई शर्त के अनुरूप अपडेट कर दिया है। दस्तावेज़ में अगर पिता या पारिवारिक नाम किसी अन्य पृष्ठ पर मौजूद है, तो प्रवासी अधिकारी इसे स्वीकार करेंगे और अतिरिक्त प्रमाण‑पत्र, जैसे नाम‑प्रमाणपत्र, प्रस्तुत करने की आवश्यकता हो सकती है।

पंजाबी यात्रियों पर प्रभाव

पंजाबी यात्रियों पर प्रभाव

पंजाब में कई लोग पारंपरिक रूप से बिना उपनाम के नाम इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उनका पासपोर्ट भी अक्सर केवल एक ही नाम दर्शाता है। इस सांस्कृतिक प्रथा के कारण अब कई पंजाबी यात्रियों को दुबई, शारजाह या अबू धाबी में प्रवेश से नकार दिया जा रहा है। प्रवासियों को रूढ़िबद्ध वाक्यांशों जैसे "नाम प्रमाण‑पत्र" या "पिता का नाम" दिखाकर ही पासपोर्ट की वैधता साबित करनी पड़ती है। कई मामलों में वीज़ा रद्द, जुर्माना या दोहराव वाली उल्लंघनों पर अस्थायी यात्रा प्रतिबंध भी लगा दिया गया है।

भारत के कुछ राज्यों ने इस समस्या को हल करने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किए हैं। पंजाब सरकार ने नागरिकों को आधिकारिक दस्तावेज़ में उपनाम जोड़ने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल और स्थानीय कार्यालयों में सहायक कर्मियों की व्यवस्था की है। इस पहल का मुख्य लक्ष्य यात्रा प्रतिबंध से बचते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल बिठाना है।

उसी समय, पाकिस्तानी यात्रियों को भी समान जांच‑पड़ताल का सामना करना पड़ रहा है। कड़ी वेरिफिकेशन प्रक्रिया और अतिरिक्त कागजी कार्रवाई के कारण उनका वीज़ा प्रोसेसिंग समय काफी बढ़ गया है। इन बदलावों का व्यापक आर्थिक असर भी है; पर्यटन उद्योग में संभावित गिरावट, एयरलाइन बैकलॉग और यात्रा एजेंटों की कार्यवाही में देरी जैसी समस्याएँ उभर रही हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में डिजिटल पहचान‑प्रणालियों के विकास के साथ यह प्रतिबंध धीरे‑धीरे लचीला हो सकता है। कुछ देशों ने पहले ही बायोमैट्रिक व फ़ेसियल रेकग्निशन तकनीक को अपनाकर सिंगल नेम पासपोर्ट की पहचान समस्याओं को दूर किया है। अगर UAE भी ऐसी तकनीकों को अपनाता है, तो पंजाबी यात्रियों को अतिरिक्त दस्तावेज़ों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और प्रवास प्रक्रिया अधिक सुगम हो जाएगी। अभी के लिए, यात्रा करने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपने पासपोर्ट में उपनाम जोड़ने या वैकल्पिक पहचान‑प्रमाणपत्र रखने की व्यवस्था करें, ताकि दुबई या अन्य UAE शहरों में अनावश्यक झंझट से बच सकें।

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UAE ने सिंगल नेम पासपोर्ट वाले यात्रियों को प्रवेश से रोकने का नियम लागू किया है, जिससे पंजाबी यात्रियों को कठिनाइयाँ झेलनी पड़ रही हैं। नियम जनवरी 2025 से लागू है, लेकिन यदि पासपोर्ट में पिता या परिवार का नाम कहीं और मौजूद है तो छूट है। यह नीति पर्यटन विज़ा धारकों को लक्षित करती है, जबकि रहिवासी व रोजगार वीज़ा धारकों को नहीं प्रभावित करती। कई भारतीय राज्य अब दस्तावेज़ में उपनाम जोड़ने की पहल कर रहे हैं। भविष्य में संभावित ढील के संकेत भी मिले हैं।

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