क्रिकेट की दुनिया का सबसे धमाकेदार मुकाबला: 438 गेम
12 मार्च 2006 को जोहानसबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में क्रिकेट प्रशंसकों ने जो नजारा देखा, उसे कोई भूल नहीं सकता। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया ये पांचवां वनडे मैच अब तक का सबसे बड़ा और सनसनीखेज रन चेज़ वाला मुकाबला माना जाता है।
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और ओपनिंग से ही अपने इरादे साफ कर दिए। एडम गिलक्रिस्ट ने 44 गेंदों में 55 रन और साइमन कैटिच ने 79 रन की ठोस शुरुआत दी। इसके बाद रिकी पोंटिंग ने मैदान पर गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं—105 गेंद में 164 रन, 13 चौके और 9 छक्के। पोंटिंग की ये पारी इस मैदान पर उनकी सबसे बड़ी पारी रही। फिर माइक हसी भी पीछे नहीं रहे; 51 गेंद में 81 रन, 9 चौके और 3 छक्के। पूरी टीम ने 50 ओवर में 434/4 रन ठोक दिए, जो उस समय वनडे इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर था। श्रीलंका का पुराना रिकॉर्ड 398 रन मिनटों में पीछे छूट गया।
दक्षिण अफ्रीका के सामने चुनौती इतनी बड़ी थी कि सारा क्रिकेट जगत यही सोच रहा था—इतना बड़ा लक्ष्य कौन सी टीम पार कर सकती है?

दक्षिण अफ्रीका का एतिहासिक जवाब और रन बरसात की बारिश
जब दक्षिण अफ्रीका की पारी शुरू हुई तो कप्तान ग्राहम स्मिथ और हर्शल गिब्स ने डर के बजाय आक्रामकता दिखाई। स्मिथ ने 55 गेंदों में धुआंधार 90 रन बनाए। असल जलवा रहा हर्शल गिब्स का—उन्होंने 111 गेंदों में 175 रन ठोक डाले, जिनमें 21 चौके और 7 छक्के शामिल थे। मैदान में हर ओवर के साथ दर्शकों की सांसें थमी रहीं, क्योंकि विकेट गिरते भी रहे और रन रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
जैसे-जैसे आखिरी ओवर करीब आया, रोमांच असहनीय हो गया। अंतिम ओवर तक दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए कुछ रन चाहिए थे और सिर्फ एक विकेट बचा था। मार्क बाउचर ने आखिर में चौका मारकर टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई। स्कोर बोर्ड पर 438/9 और दुनिया भर के फैंस हैरान।
- 872 रन (434+438)—वनडे क्रिकेट का अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त स्कोर।
- 87 चौके और 26 छक्के—दोनों टीमों ने एक साथ मिलकर लगाए।
- एक विकेट से जीत—मतलब रोमांच आखिरी गेंद तक कायम रहा।
इस मैच को उसके जबरदस्त स्कोर, खतरनाक बल्लेबाजी और पल-पल बदलते मैच के लिए ‘438 गेम’ के नाम से जाना जाता है। आज भी क्रिकेट प्रेमी जब इस मुकाबले का जिक्र करते हैं तो दिल में रोमांच दौड़ जाता है। उस दिन वांडरर्स स्टेडियम में क्रिकेट महज एक खेल नहीं था, बल्कि जश्न और जंग दोनों साथ-साथ चल रहे थे।