यूक्रेनी बच्चों का रूसीकरण: एक गंभीर मानवाधिकार मुद्दा
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष ने नए और चिंताजनक मानवीय संकटों को जन्म दिया है। इस बार, यूक्रेन के बच्चों के अधिकारों के आयुक्त दिमित्रो लुबिनेट्स ने एक गंभीर आरोप लगाया है। उनका दावा है कि रूस ने यूक्रेनी बच्चों को जबरन उनके परिवारों से दूर कर दिया है और उन्हें रूसी सेना में भर्ती के लिए तैयार किया जा रहा है। यह आरोप अत्यंत गंभीर हैं और इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी प्रतिक्रिया होनी चाहिए।
रूस का उद्देश्य और स्थिति की गंभीरता
लुबिनेट्स के अनुसार, रूस इन बच्चों को रूसी समाज में एकीकृत कर रूसी सैन्य विचारधारा में ढालने का प्रयास कर रहा है। इन बच्चों की पहचान को मिटा दिया गया है और उन पर रूसी विचारधारा थोपने का प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि उन्हें विशेष शिविरों में रखकर सैन्य प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। यह स्थिति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और कानूनों का उल्लंघन है।
यूक्रेनी बच्चों का जबरन स्थानांतरण
लुबिनेट्स का कहना है कि संघर्ष के आरंभ से ही कई यूक्रेनी बच्चों को रूस में स्थानांतरित कर दिया गया है। ये बच्चे या तो रूसी परिवारों के तहत पालित किए जा रहे हैं या विशेष शिविरों में भेजे जा रहे हैं। इन शिविरों में उन्हें रूसी विचारधारा सीखाई जाती है और सैन्य सेवाओं के लिए तैयार किया जाता है। यह स्थिति न केवल यूक्रेन के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अत्यधिक चिंता का विषय है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
लुबिनेट्स ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे इन अवैध स्थानांतरणों को रोकने के लिए तत्क्षण कदम उठाएं और इन बच्चों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें। उनका कहना है कि इस स्थिति का प्रभाव केवल बच्चों तक सीमित नहीं है; यह यूक्रेन की राष्ट्रीय पहचान और सामाजिक धरोहर पर भी एक बड़ा खतरा है।
मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन
रूस के इस कदम को मानवाधिकारों का उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय कानून का असंवेदनशील उल्लंघन माना जा रहा है। यह न केवल प्रभावित बच्चों के लिए दर्दनाक है, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी। विश्व समुदाय को रूस पर दबाव बनाना चाहिए ताकि यह असंवैध गतिविधि बंद हो और जो भी इसके लिए उत्तरदायी हो उसे न्यायालय के समक्ष लाया जा सके।
यह संकट एक व्यापक मानवीय आपदा का हिस्सा है,जिसमें हजारों यूक्रेनी बच्चे बेघर हो गए हैं या अनाथ हो गए हैं। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वे इन कमजोर बच्चों को सहायता और संरक्षण प्रदान करें और इस मानवीय संकट का समाधान खोजें।